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मिथिला के मखाने को मिला GI Tag, पांच साल में हजार पन्नों पर संग्रहित किये गये ऐतिहासिक दस्तावेज

कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेतक टैग मिलने पर प्रशंसा प्रकट करते हुए कहा है कि राज्य के विशिष्ट उत्पादों के निर्यात और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है.

बिहार के मिथिला के मखाना को जीआइ (भौगोलिक सूचक) टैग मिल गया है. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए पांच साल में एक हजार से अधिक पेजों पर मखाना के ऐतिहासिक दस्तावेजों को संग्रहित किया गया था. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करने वाले बिहार के कृषि उत्पाद की संख्या पांच हो गयी है.

शाही लीची को जीआइ टैग मिल चुका है

वर्ष 2016 में भागलपुर का जर्दालू आम और कतरनी धान, नवादा का मगही पान तथा मुजफ्फरपुर की शाही लीची को जीआइ टैग मिल चुका है. भारत में मखाना उत्पादन का कुल 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार में होता है, इसलिए मखाना फसल का भौगोलिक सूचक में मिथिला मखाना के नाम से प्रस्तावित किया गया था.

अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही

कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेतक टैग मिलने पर प्रशंसा प्रकट करते हुए कहा है कि राज्य के विशिष्ट उत्पादों के निर्यात और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है.

किसानों को विपणन में अधिक- से- अधिक लाभ मिलेगा

मखाना का जीआइ टैगिंग से किसानों को विपणन में अधिक- से- अधिक लाभ मिलेगा. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मखाना की विशेष ब्रांडिंग होगी साथ ही साथ किसानों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी. मंत्री ने बताया कि उद्यान निदेशालय द्वारा मखाना के विकास के लिए विशेष योजना संचालित की जा रही है.

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मखाना विकास योजना में शामिल जिले

इस योजना के अंतर्गत मखाना उत्पादक मुख्य नौ जिलाें मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज, अररिया, कटिहार व पूर्णिया के अलावा दो नये जिलों सीतामढ़ी एवं पश्चिमी चंपारण को भी मखाना विकास योजना में शामिल किया गया है. राज्य स्तर पर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया को नोडल केंद्र बनाया गया है.

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