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बिहार को क्यों नहीं मिल सकता विशेष राज्य का दर्जा? केंद्र सरकार ने संसद में दिया लिखित जवाब

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से चल रही है. लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया है कि ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता.

Bihar Special Status: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत बिहार के तमाम नेता विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं. रविवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. लेकिन यह मांग पूरी नहीं होगी. सोमवार को संसद की कार्यवाही के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ तौर पर कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. उन्होंने बिहार के झंझारपुर लोकसभा सीट से सांसद रामप्रीत मंडल द्वारा पूछे गए सवाल का यह लिखित जवाब दिया और यह भी बताया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया जा सकता.

रामप्रीत मंडल ने पूछा था सवाल

जदयू सांसद रामप्रीत मंडल ने पूछा था कि क्या सरकार आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार और अन्य सबसे पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने का इरादा रखती है और यदि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, तो इसके क्या कारण हैं.

एनडीसी द्वारा उन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता था जो विशिष्ट चुनौतियों का सामना करते थे

रामप्रीत मंडल के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा पहले राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) द्वारा उन राज्यों को दिया जाता था जो विशिष्ट चुनौतियों का सामना करते थे. इन चुनौतियों में पहाड़ी और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व और/या आदिवासी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी ढांचे का पिछड़ापन और राज्य के वित्त की अव्यवहारिक प्रकृति शामिल थी.

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2012 में बिहार को एनडीसी मानदंडों के आधार पर विशेष राज्य के दर्जे के लिए योग्य नहीं पाया गया

मंत्री चौधरी ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा देने का फैसला इन सभी कारकों के व्यापक मूल्यांकन के आधार पर लिया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि विशेष राज्य का दर्जा देने के बिहार के अनुरोध का 2012 में एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) द्वारा मूल्यांकन किया गया था. आईएमजी ने निष्कर्ष निकाला कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार इस दर्जे के लिए योग्य नहीं है.

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