पटना. सोन नदी के तल में से औसतन एक तिहाई से अधिक बालू का हर साल उत्खनन हो रहा है. एक विशेष सेटेलाइट रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 के पोस्ट मॉनसून सीजन में 3624 हेक्टेयर में बालू उत्खनन हुआ था. इस सीजन में सोन नदी में बालू का कुल जमाव 10,247.58 हेक्टेयर में हुआ था. इस तरह कुल जमाव का 36% उत्खनन हुआ है. यह सेटेलाइट सर्वे इंद्रपुरी बैराज के डाउन स्ट्रीम में रोहतास, नौहट्टा, कोइलवर ,दाउदनगर, आरा और पटना के मनेर तक हुआ.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 के प्री मॉनसून सीजन में 12,330 हेक्टेयर जमाव में से प्री मॉनसून सीजन में 3128 हेक्टेयर में हुआ. जमाव और उत्खनन कुछ विशेष इलाकों में केंद्रित रहा. दरअसल सर्वे में अधिक खनन वाले क्षेत्र ही पहचाने जा सके हैं. 2020 में कोरोना की वजह से सेटेलाइट सर्वे नहीं किया गया था. इससे पहले 2019 में पोस्ट मॉनसून सर्वेक्षण में 11677 हेक्टेयर में जमाव में से केवल 1518 हेक्टेयर में उत्खनन हुआ था.
सूत्र बताते हैं कि उस समय प्रशासन ने खूब सख्ती की थी. इससे पहले के साल 2018 में 11751 हेक्टेयर क्षेत्र में बालू का जमाव हुआ. इसमें 3749 हेक्टेयर में उत्खनन हुआ. बिहार रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ केआरपी सिंह ने सेटेलाइट सर्वेक्षण के संदर्भ में बताया कि तुलनात्मक तौर पर जमाव की तुलना में बालू उत्खनन अभी कम है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक बेशक सेटेलाइट सर्वे में डिपोजिट की तुलना में कम रेत उत्खनन का दावा किया जा रहा है, लेकिन सच्चाई इससे उलट है. जानकारों का कहना है कि अगर एक तिहाई से बालू उत्खनन होता तो अभी तक नदी में बालू का पहाड़ हो जाता. पुल और तटबंधों के किनारे प्रतिबंधित क्षेत्र में खूब खनन हो रही है, जबकि पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी सख्त मनाही की है. लाल बालू का क्रेज यहां तक है कि खनन माफिया सोन से गंगा में बह कर आये लाल बालू का खनन दीघा घाट तक करते हैं.
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हर साल एक ही जगह पर हो रहे गहरी माइनिंग की वजह से नदी के तल को नुकसान
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गहरी खुदाई से तल में कई जगह रेत की जगह जमा हुई मिट्टी की गाद
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अत्यधिक खुदाई से जलीय जीवों पर भी प्रभाव