18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार के स्कूलों के लिए तैयार हो रहा बहु-भाषीय शब्दकोश, स्थानीय बोलियों में समझाते हुए होगी पढ़ाई

बिहार की कुल जनसंख्या में एक फीसदी से कुछ ही अधिक अनुसूचित जन जातियां हैं. इनकी भाषाएं संकटग्रस्त हैं. इस परिदृश्य में शिक्षा विभाग विभिन्न अनुसूचित जनजातियों की भाषाओं को सहेजने के लिए रणनीति बना रहा है.

नयी शिक्षा नीति के तहत बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं/ बोलियों में कक्षा एक से प्लस टू तक की पढ़ाई के लिए बहु-भाषीय शब्दकोश तैयार कर रहा है. पढ़ाने की रणनीति यह है कि मातृ भाषा (मदर टंग) में अभ्यस्त स्कूली बच्चे को तमाम विषयों की पढ़ाई उसी की मातृ भाषा में पढ़ायी जाये, ताकि वह समझ सके कि उसकी मातृ भाषा में संबंधित विषयों के शब्दों या संबंधित अवधारणा को क्या कहा जाता है?

उच्चारण बेहतर करने पर जोर दिया जायेगा

इस कवायद के पीछे का मकसद क्षेत्रीय बोलियों में पढ़ाते-समझाते छात्रों को मुख्य धारा में लाना है. ताकि उच्च शिक्षा में वह भाषा आधारित पिछड़ेपन का शिकार न हो. खासतौर पर उसका उच्चारण भी बेहतर करने पर जोर दिया जायेगा. इस संदर्भ में शिक्षा विभाग ने विशेष रूप से एससीइआरटी को दिशा निर्देश दिये हैं. इसके तहत बिहार की स्थानीय बोलियों एवं भाषाओं का एक शब्दकोश तैयार किया जायेगा. इस शब्दकोश में किसी विषय सामग्री को मातृ भाषा में उच्चारण वाले शब्द और उससे संबंधित अंग्रेजी-हिंदी के शब्द शामिल किये जायेंगे.

विशेष रिसोर्स मैटेरियल भी बनाया जायेगा

शब्दकोश के अलावा एक विशेष रिसोर्स मैटेरियल भी बनाया जायेगा. यह सामग्री शिक्षकों को दी जायेगी. शिक्षकों को इसमें प्रशिक्षित किया जायेगा. यह शिक्षक ही बच्चों को किसी विषय में बच्चे को मातृ भाषा में पढ़ाते हुए उसे पढ़ायेगा. इस तरह अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली आदि क्षेत्रीय भाषाओं में मुख्य धारा के विषय पढ़ाने की कवायद की जायेगी. जानकारी के मुताबिक ऐसा अगले सत्र तक ही संभव हो सकेगा.

सहेजी जायेंगी बिहार में रहने वाले वनवासियों की भाषाएं

बिहार की कुल जनसंख्या में एक फीसदी से कुछ ही अधिक अनुसूचित जन जातियां हैं. इनकी भाषाएं संकटग्रस्त हैं. इस परिदृश्य में शिक्षा विभाग विभिन्न अनुसूचित जनजातियों की भाषाओं को सहेजने के लिए रणनीति बना रहा है. शिक्षा विभाग को इस संदर्भ में भारत सरकार से हाल ही में एक पत्र मिला है.

बिहार में अनुसूचित जाति (वनवासी समुदाय) की मुख्य भाषाएं मसलन मुंडारी , सदानी, संथाली, मुंगरी, गाेराइत, चेरो आदि भाषाएं हैं. विभिन्न वजहों से यह भाषाएं बेहद संकटग्रस्त हैं. बिहार में खौंड ,बेड़िया, संथाल, खैरवार, गोराइत , कोरवा, मुंडा आदि वनवासी जातियां चंपारण, रोहतास, शाहाबाद, पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा, भोजपुर, मुंगेर, जमुई, कटिहार और बक्सर आदि में रहती हैं.

एससीइआरटी के निदेशक सज्जन राज शेखर ने बताया कि मिले पत्र के मुताबिक शिक्षा विभाग जनजातीय भाषाओं को सहेजने के लिए एक रोड मैप बनायेगा. साथ ही नयी शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने के लिए नयी शिक्षा नीति के तहत तैयारी की जा रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें