मेरे अभिनय की जर्नी किसी चमत्कार से कम नहीं : मनोज बाजपेयी

फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी इन दिनों जी-5 पर स्ट्रीम हो रही फिल्म ‘साइलेंस-2: द नाइट आउल बार शूटआउट’ में एसीपी अविनाश वर्मा की भूमिका को फिर से पर्दे पर साकार करते दिख रहे हैं. उनकी मानें, तो फिर से उसी किरदार में जाना आसान नहीं होता है. सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘साइलेंस कैन यू हियर इट’ के दूसरे सीजन ‘साइलेंस-2: द नाइट आउल बार शूटआउट’ व इंडस्ट्री से जुड़ाव को लेकर पेश है मनोज बाजपेयी की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 11:20 PM

फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी इन दिनों जी-5 पर स्ट्रीम हो रही फिल्म ‘साइलेंस-2: द नाइट आउल बार शूटआउट’ में एसीपी अविनाश वर्मा की भूमिका को फिर से पर्दे पर साकार करते दिख रहे हैं. उनकी मानें, तो फिर से उसी किरदार में जाना आसान नहीं होता है. सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘साइलेंस कैन यू हियर इट’ के दूसरे सीजन ‘साइलेंस-2: द नाइट आउल बार शूटआउट’ व इंडस्ट्री से जुड़ाव को लेकर पेश है मनोज बाजपेयी की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश. ………………………. ‘साइलेंस-2’ जब आपको ऑफर हुई, तो आपका रिएक्शन क्या था ? मुझे सबसे पहले जी स्टूडियो ने कहा कि हमलोग ‘साइलेंस-2’ करना चाहते हैं. मैंने कभी किसी फिल्म का दूसरा पार्ट नहीं किया था, तो हमने तय किया कि हम डेट्स और बाकी चीजों पर तभी बात करेंगे जब स्क्रिप्ट तैयार हो जायेगी. उसके बाद तय करेंगे कि इसको आगे लेकर कैसे बढें, क्योंकि हम चाहते थे कि हम स्क्रिप्ट पर जल्दबाजी न करें. स्क्रिप्ट बनने में काफी समय लगा. एक से सवा साल गये. अच्छी मर्डर मिस्ट्री लिखना बहुत ही टेढ़ा काम है. एक स्क्रिप्ट्स हाथ में आ गयी, तो फिर बाकी बातें तय हुईं. ………………… आप ओटीटी का बड़ा नाम बन चुके हैं. क्या कभी लगता है कि मेकर्स की कोशिश उस नाम को भुनाने की कोशिश भी रह सकती है ? ओटीटी प्लेटफॉर्म इस तरह से तय नहीं करता है खासकर फिल्मों के लिए. ‘साइलेंस-1’ को जो बड़ी सफलता मिली थी, जिस तरह से लोगों ने वेलकम किया और रिस्पांस भेजा. सभी अविनाश वर्मा को फिर से देखना चाहते थे. उसके कारण इनलोगों ने निर्णय लिया. कभी इस वजह से नहीं लिया जाता कि ये एक्टर बहुत पॉपुलर हो रहा है. इसके साथ दूसरा भी बना लेते हैं. उनके लिए यह आसान होता अगर वो दूसरी लिखी लिखायी स्क्रिप्ट कर लेते. एक डेढ़ साल लगाकर आप दूसरा पार्ट बना रहे हो इसका मतलब है कि ऑडियंस का जो रिएक्शन आया है, उसके कारण और आप जब दूसरा बनाना चाहते हो ,तो आप उसको पहले से भी बेहतर बनाना चाहते हो. आप एक अच्छा अनुभव दर्शकों को देना चाहते हो. ………………… आपका क्या प्रोसेस फिर से पुराने किरदार में जाने के लिए होता है ? ये आसान नहीं रहता है, क्योंकि एक बार फिर से उस किरदार के सारे के सारे एलिमेंट्स को लेकर आना क्योंकि इस बीच आप काफी कुछ कर चुके होते हैं. ऐसे में फिर से पुराना किरदार करना और ये भी देखना कि अविनाश वर्मा में इनदिनों में क्या बदलाव हुए होंगे. उन सबको आपको अपने किरदार में लेकर आना ये एक प्रोसेस होता है , जिसमें जाने में मुझे एक महीना लगता है. …………….. क्या ‘साइलेंस-2’ की शूटिंग से पहले ‘साइलेंस-1’को आपने फिर से देखा ? वो देखना ही पड़ता है. फैमिली मैन का सेकेंड सीजन करने से पहले पहला पूरा देखा, फिर काम करना शुरू किया. अब जब तीसरा होगा, तो हम दूसरा देखेंगे. …………………….. पुलिस के इर्द-गिर्द कहानियां मेकर्स को काफी लुभा रही हैं, आपको इसकी क्या वजह दिखती है ? किसी भी पुलिस स्टेशन में आप बैठ जाओ आपको दस केस पुलिस वाले बतायेंगे. दस के दस जो हैं, वो आपको इतने नाटकीय और दिलचस्प लगेंगे. इतना आपको झकझोरेंगे ,इतना आपको बांध के रखेंगे कि आप हर दस पर फिल्म या वेब सीरीज बनाना चाहोगे. …………………….. एक्टर के तौर पर क्या होमवर्क के लिए आप पुलिस से जुड़े लोगों से मिलते हैं ? मैं सिर्फ होमवर्क करने के लिए कोई चीज करने नहीं जाता हूं, क्योंकि मैं जिंदगी में इतने लोगों से मिल चुका हूं. इतने मेरे दोस्त पुलिस डिपार्टमेंट्स में हैं, तो मिलना -जुलना होता रहता है. वो होमवर्क पहले से ही जिंदगी ने करवाकर रखा है, तो फिर से आपको देखने की जरूरत पड़ती. …………………….. इस फिल्म में आपके साथ कई युवा कलाकार हैं ,जो आपके अभिनय के मुरीद हैं. ऐसे में शूटिंग में वह नर्वस न हो इस बात का आप ख्याल रखते हैं ? मैं सारे एक्टर्स के साथ खाना खाता हूं. उनके साथ बैठता हूं. वो सब मेरे वैन में ही बैठे रहते हैं. मेरे हर फिल्म या वेब सीरीज में यही माहौल रहता है. फैमिली मैन में भी यही होता है. मेरा मानना है कि आपस में सहज हो जाते हैं ,तो हम परफॉर्म बेहतर करते हैं. इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है. शुरुआती दिनों में क्या किसी बड़े स्टार्स के सामने परफॉर्म करते हुए आप नर्वस हुए हैं ? मुझे कभी इस तरह की नौबत आयी नहीं. जिस तरह का माहौल रहता था, उसमें ढल जाते थे. क्योंकि फोकस इसमें रहता था कि आपको बहुत बेहतरीन काम करना है ,ताकि आप अपनी उपस्थिति दर्शा सकें. …………………….. इंडस्ट्री में आपने तीस साल पूरे कर लिए. क्या आपको लगता था इतनी लंबी पारी कर पाऊंगा. किसी एक्टर को नहीं लगता है, जिसने पचास साल गुजार लिए हैं, उसने भी नहीं सोचा होगा. मुझे तो लगा था कि मैं पांच साल भी गुजार लूं तो बहुत है. यहां तो तीस साल हो गये हैं. मैं ऊपर वाले को धन्यवाद कहूंगा और खुद को भाग्यशाली मानूंगा क्योंकि मेरी जर्नी चमत्कार से कम नहीं है. कहां एक 18 साल का लड़का जिसने अपने घर-बार को छोड़ा था. दिल्ली आकर थिएटर किया. ग्रेजुएशन किया. बिना किसी के सहारे मैं मुंबई आया और मुंबई आने के बाद तीस साल हो गये और आज भी काम कर रहा हूं. आज भी सामायिक हूं. अच्छा काम रहा हूं. वाकई खुशकिस्मत हूं.

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