मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस: यात्रियों ने शेयर किया अनुभव, कहा- मौत के मुंह से हम बाहर निकले
मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस के हादसे का मंजर को याद करते हुए बताया कि स्थानीय लोगों ने गजब की तत्परता दिखाई. चंद पल में काफी संख्या में लोग मदद को पहुंच गये. पलटे डब्बे की खिड़की का शीशा तोड़कर स्थानीय लोगों ने यात्रियों को निकाला. रेलवे प्रशासन, प्रशासन एवं स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को एंबुलेंस तक पहुंचाया गया
रणविजय शांडिल्य, दरभंगा
मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस विजयदशमी का दिन जिंदगी में कभी भूल नहीं पाएंगे. जिंदगी और मौत के बीच का फासला मिट ही चुका था. रात के करीब 8.30 बज रहे थे.सहयात्री सह ग्रामीण मणि भूषण चौधरी व अमिताभ चौधरी के साथ बातचीत कर रहे थे. अचानक तेज धमाका हुआ.
हम एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े. जब तक संभल पाते चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. कुछ समझ नहीं आ रहा था. जो जहां था, वहीं से बाहर की ओर भागने लगा. हम भी बोगी से छलांग लगाने के लिए दौड़ पड़े. बोगी से बाहर निकलने के बाद एहसास हुआ, हम अपनी बोगी से नहीं मौत के मुंह से बच निकले हैं. हम जिस बोगी में सवार थे, उससे दो बोगी आगे का एसी कोच धू-धू कर जल रहा था.
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पता चला कि हमारी ट्रेन एक मालगाड़ी से टकरा गई है. कुछ देर तक तो खुद के जिंदा बच निकलने का विश्वास नहीं हो रहा था. सच में मौत हम लोगों को छूकर निकल गई थी. भगवती दुर्गा ने दूसरा जन्म दिया है. मैसूर से दरभंगा के लिए चली बागमती सुपरफास्ट एक्सप्रेस की दुर्घटना का मोबाइल पर आंखों देखा हाल बताते हनुमाननगर प्रखंड के कोलहंटा पटोरी निवासी सतीश कुमार चौधरी की आवाज कांप रही थी.
दुर्घटना के पांच मिनट के भीतर खाली हो गयी ट्रेन
सतीश चौधरी बताते हैं कि वे लोग चिकित्सकीय काम से भेलौर गये थे. शुक्रवार की शाम ट्रेन में सवार हुए. बी-4 के बर्थ नम्बर 65, 66 एवं 68 उन लोगों की सीट थी. उनकी बोगी इंजन से सातवें नंबर पर थी.
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उससे आगे की दो एसी बोगियां पलट गई थीं. एक बोगी में आग लग गई थी. अचानक से हुए इस दुर्घटना से सभी यात्री डरे-सहमे थे. ट्रेन के शांत होने से पहले ही बोगियों से लोग कूदने लगे. लगभग पांच मिनट में प्रायः सभी यात्री ट्रेन से उतर चुके थे.
स्थानीय लोगों ने दिखाई गजब की तत्परता
वहां के मंजर को याद करते हुए बताया कि स्थानीय लोगों ने गजब की तत्परता दिखाई. चंद पल में काफी संख्या में लोग मदद को पहुंच गये. पलटे डब्बे की खिड़की का शीशा तोड़कर स्थानीय लोगों ने यात्रियों को निकाला. रेलवे प्रशासन, प्रशासन एवं स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को एंबुलेंस तक पहुंचाया गया. बताया कि जलती बोगी से एक यात्री को स्ट्रेचर पर ले जाते देखा था.
रेलवे प्रशासन द्वारा सभी यात्री को कबरापेटइ स्टेशन पहुंचाया गया. यात्रियों को पानी एवं बिस्किट उपलब्ध कराया गया. नजदीकी स्टेशन लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर था. रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ खेतों में पानी भरा था. बड़ी मशक्कत से सभी यात्री स्टेशन तक पहुंचे. लगभग रात के 12 बजे इस स्टेशन से बस द्वारा पुन्नेरी स्टेशन सभी को पहुंचाया गया, वहां से स्पेशल डेमू ट्रेन से सभी चेन्नई पहुंचे.
रास्ते में रेलवे यात्रियों को दे रहा खाना-पानी मुफ्त
चेन्नई से शनिवार सुबह चार बजे स्पेशल बागमती एक्सप्रेस बनकर रवाना हुई. रेलवे की ओर से गाड़ी में सभी यात्रियों को खाना-पानी मुफ्त दिया जा रहा है. बताया कि पूरी तत्परता के साथ यात्रियों की रेलवे देखभाल कर रहा है. बताया कि रविवार की शाम ट्रेन मध्य प्रदेश से गुजर रही है.
शिक्षक सतीश चौधरी एवं शिक्षक मणि भूषण चौधरी ने फोन पर बताया कि भेल्लौर स्वास्थ्य कारणों से गए थे. वापसी में शुक्रवार की शाम लगभग छह बजे काटपारी स्टेशन से यात्रा प्रारंभ की थी. कबरापेटइ स्टेशन पर ट्रेन का स्टॉपेज नहीं था. इस स्टेशन पर मेल लाइन का सिग्नल ट्रेन को नहीं मिला. लूप लाइन का सिग्नल मिला, जिस पर पहले से मालगाड़ी खड़ी थी. ट्रेन की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटा के आसपास थी.