नालंदा में करीब दर्जन भर लोगों की मौत संदेहास्पद स्थिति में हुई तो हड़कंप मच गया. इधर इस मामले ने सियासी रंग भी पकड़ लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा शराबबंदी कानून लागू किये जाने के बाद इसमें अब सख्ती भी बढ़ा दी गयी है. लेकिन जहरीली शराब से मौत का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. इधर बिहार में एनडीए के अंदर भाजपा और जदयू आपस में ही टकरायी हुई है. जिसके बाद इस प्रकरण में भी अब दोनों दलें आमने-सामने हो गयी है. जिसके बाद सियासत गरमायी हुई है.
पिछले कुछ दिनों से बिहार में एनडीए के अंदर भाजपा अन्य साथी दलों के निशाने पर दिखी है. खासकर जातिगत जनगणना और उसके बाद सम्राट अशोक के नाम पर पनपे विवाद में जदयू ने भाजपा को जमकर घेरा है. सम्राट अशोक पर एक लेखक के द्वारा की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी पर जदयू ने खुलकर भाजपा पर हमला बोला.
जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सरेआम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर निशाना साधा था वहीं जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने जब संजय जायसवाल पर हमला बोला तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी खुलकर बोले. उन्होंने कहा कि ये प्रवक्ता नहीं बल्कि जदयू मुझपर हमला कर रही है. लेकिन अब नालंदा में जहरीली शराब से मौत का मामला सामने आया जो भाजपा हमलावर हुई है.
Also Read: नालंदा जहरीली शराब कांड: करीब दर्जन भर मौत, परिजन से अलग पुलिस बताती रही ठंड और हार्ट-अटैक को वजह
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि नालंदा जिले में जहरीली शराब से 11 मौतें हो चुकी हैं.परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था. आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 11 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां संतवाना देता तो आपके लिए अपराध है.
संजय जायसवाल ने शराबबंदी को लेकर सुझाव भी दिये और कहा कि अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबोगरीब बीमारी से मरने का कारण बताना. यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है.
कहा कि दूसरे अपराधी वहां के पुलिस वाले हैं जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्रि होने दी. 10 वर्ष का कारावास इन पुलिस कर्मियों को होना चाहिए, ना कि इन्हें 2 महीने के लिए सस्पेंड करके नया थाना देना जहां वह यह सब काम चालू रख सकें.तीसरा सबसे बड़ा अपराधी शराब माफिया है जो शराब की बिक्री विभिन्न स्थानों पर करवाता है. इस को पकड़ना भी बहुत आसान है. इन्हीं पुलिस कर्मियों से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की जाए तो उस माफिया का नाम भी सामने आ जाएगा.
संजय जायसवाल ने लिखा कि शराब बेचने वाले और पीने वाले दोनों को सजा अवश्य होनी चाहिए पर यह उस हाइड्रा की बाहें हैं जिन्हें आप रोज काटेंगे तो रोज उग जाएंगे. जड़ से खत्म करना है तो प्रशासन ,पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा.
Posted By: Thakur Shaktilochan