National Post Day 2024: आधुनिकीकरण के बदलते जमाने में भी डाक विभाग अपनी विश्वसनीयता बनायी हुई है. भारतीय डाक सेवा की बात की जाए, तो यह क्षेत्र केवल चिट्ठियां बांटने और संचार का कारगर साधन बने रहने तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पिछले कई सालों में डाक वितरण के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. विश्व में हर साल नौ अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. वहीं, भारत में हर साल 10 अक्तूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर आइए जानते हैं, डाक विभाग में महिलाओं की भागीदारी, उनकी चुनौतियों, संघर्ष और सफलता के बारे में.
2013 में खुला था केवल महिला कर्मी ही काम करती हैं.
जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है, महिलाएं भी पुरुषों की तरह हर फील्ड में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. आज राजधानी पटना की कई महिलाएं अलग-अलग फील्ड में अपना नाम कमा रही हैं और वे अन्य दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन रही है. आज पोस्ट ऑफिस में भी कई महिलाएं अलग-अलग पोस्ट पर काम कर रही हैं. इसमें कुछ महिलाएं पोस्टल असिस्टेंट, कुछ महिलाएं उप डाकपाल तो कुछ ग्रामीण डाक पद पर कार्यरत हैं. इन महिलाओं का काम काफी सराहनीय है, ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन महिलाओं को देखकर और भी महिलाएं इस फील्ड में अपना करियर बनाने के लिए आगे आ रही हैं. बता दें कि देश का पहला महिला पोस्ट ऑफिस साल 2013 में दिल्ली में खुला था, जिसमें केवल महिला कर्मी ही काम करती हैं.
- माहौल बेहतर हो तो काम करने में मन लगता है – कुमारी सरिता, डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर, जीपीओ
नेहरू नगर की रहने वाली कुमारी सरिता वर्तमान में जीपीओ में डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर व मेल और ट्रेजरी के पद पर कार्यरत हैं. बचपन से ही वे आर्मी में डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन सेलेक्शन नहीं हुआ. फिर उन्हें डाक विभाग में जन सेवा का मौके मिला. 1997 में पटना के बांकीपुर में उनकी पहली पोस्टिंग डाक सहायक के तौर पर हुई. बिहार में उस वक्त महिलाओं को अपने पसंद की पढ़ाई करने की आजादी नहीं थी. टीचिंग लाइन ज्यादा सुरक्षित माना जाता था. पर मुझे परिवार वालों का पूरा सहयोग मिला जिसकी वजह से नौकरी करना संभव हुआ. मेरे काम के लिए मुझे हाल ही में बेस्ट परफॉर्मर का भी अवार्ड मिला चुका है.
- खुद को साबित करना ही पहला लक्ष्य था -लता कुमारी, आरएमस, पीटी डिवीजन पटना
बोरिंग रोड की रहने वाली लता कुमारी वर्तमान में आइपी पटना आरएमएस/1 आरएमस पीटी डिवीजन में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि यह विभाग इसलिए चुना क्योंकि पोस्टल सर्विसेस एकमात्र ऐसी सर्विस है, जिसका नेटवर्क काफी बड़ा है. यह गांव से लेकर शहर तक हर वर्ग के लोगों तक अपनी पहुंच रखता है. साल 2011 में मैंने पोस्टल असिस्टेंट के तौर पर छपरा प्रधान डाकघर में पहला योगदान दिया था. उस वक्त हमारे ऑफिस में महिलाएं बहुत कम थीं. काम करने को लेकर चुनौतियां, तो आयी लेकिन हमने भी इसका सामना किया और अपना काम पूरी ईमानदारी से करती रही. साल 2023 में डाक नीरिक्षक के तौर पर मेरी पद्दौन्ति हुई है.
- ड्यूटी कहीं भी मिले, अपना बेस्ट देना है -सरिता कुमारी, आरएमएस, एएसपी पटना
विकास नगर कुर्जी की रहने वाली सरिता कुमारी अभी एएसपी पटना आरएमएस में कार्यरत हैं. वे कहती हैं कि जब मेरा चयन एसएसी 2008 में हुआ, तो इंटरव्यू के दौरान उनसे विभाग का प्रिफरेंस मांगा गया था. उन्होंने पहला इनकम टैक्स और दूसरा पोस्टल सर्विस दिया था. मेरी पहली पोस्टिंग साल 2011 में मुजफ्फरपुर में कंप्लेंट इंस्पेक्टर के तौर पर हुई थी. उस वक्त लोगों की मानसिकता महिला ऑफिसर को लेकर अलग थी. एडजस्टमेंट प्रॉब्लम थी. पर अनुशासन और सभी के लिए आदर मेरी पहली प्राथमिकता रही. 2015 में मैं पटना वापस आयी. अलग-अलग पदों पर कार्य किया. 2022 में प्रमोशन मिल चुका है.
- अब पोस्ट ऑफिस में केवल महिला कर्मी हैं -आरती कुमारी, जीपीओ, पटना आधार शाखा
गौड़ीय मठ की आरती कुमारी पटना जीपीओ में आधार शाखा में कार्यरत हैं. इनके पिता इस विभाग से जुड़कर जन सेवा करते थे और कई बातों को साझा करते थे. उन्हीं से प्रेरित होकर आरती ने इस क्षेत्र को चुना. साल 2011 में वे पटना जीपीओ में पोस्टल असिस्टेंट के तौर पर कार्यरत हुईं. जिस वक्त उन्होंने ज्वाइन किया, उस वक्त माहौल अच्छा नहीं था. सीनियर से पर्सनल दिक्कतों को साझा करने में परेशानी होती थी. महिलाएं कम थी, तो चीजों को लेकर समझना और समझाना आसान नहीं था. आज हमारे ऑफिस में ज्यादातर महिला कर्मी ही हैं. हमारी अधिकारी भी महिला हैं, तो कुल मिलाकर माहौल अच्छा है.
- बेहतर काम के लिए मिल चुका है अवार्ड -रुचि कुमारी, जीपीओ, पटना
रुक्कनपुरा की रहने वाली रुचि कुमारी पटना जीपीओ में आरटीआइ शाखा में कार्यरत हैं. सामाजिक सेवा भाव की वजह से उन्होंने क्षेत्र को ज्वाइन किया. इनकी पहली पोस्टिंग साल 2014 में बेतिया में पोस्टल असिस्टेंट के तौर पर हुई थी. वे कहती हैं, जहां मैं कार्यरत थी, वहां पहले से चार महिलाएं थीं और आज यहां के अलग कैडर में 40 महिलाएं हैं. काम के दौरान चुनौतियां तो आयी, लेकिन नियमों और दायरे में रहकर कार्य किया. बेहतर काम के लिए मुझे साल 2021 बेस्ट वर्कर का अवार्ड मिला. सीनियर्स मेरे काम को न सिर्फ प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि आपका मार्गदर्शन भी करते हैं.