Success Story: बिहार में स्टार्टअप से युवा भर रहे उड़ान, रोजगार देने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में भी दे रहे योगदान

Success Story: बिहार की राजधानी पटना के युवा इन दिनों खुद की सोच से स्टार्टअप के जरिये उद्यमिता के क्षेत्र में उड़ान भर रहे हैं. एक दौर था जब बिजनेसमैन का बेटा बिजनेसमैन बनता था, लेकिन अब ट्रेडिशनल बिजनेस के स्वरूप में काफी बदलाव आया है. आज ‘नेशनल स्टार्टअप दिवस’ पर पढ़िए शहर के सफल युवा उद्यमियों की सक्सेस स्टोरी.

By Paritosh Shahi | January 16, 2025 7:03 AM

Success Story: लाइफ रिपोर्टर@पटना, आज ‘नेशनल स्टार्टअप डे’ है. यह दिन भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, और इस साल बिहार में कई युवाओं ने अपनी मेहनत और सृजनात्मकता से स्टार्टअप्स की दुनिया में कदम रखा है. ये युवा अब मुख्यधारा से हटकर नए-नए और इनोवेटिव विचारों के साथ अपने व्यवसाय चला रहे हैं. इन उद्यमियों ने न केवल खुद को स्थापित किया है, बल्कि बिहार के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इनमें से कुछ स्टार्टअप्स ऐसे हैं जो पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए प्लास्टिक वेस्ट से उत्पाद बना रहे हैं, तो कुछ स्टार्टअप्स बिहार में अपनी फैक्ट्री खोलने की योजना बना रहे हैं. बिहार सरकार भी इन स्टार्टअप्स को सहयोग दे रही है, जिससे इन उद्यमियों को न केवल फंडिंग मिल रही है, बल्कि उन्हें जरूरी प्रशिक्षण और संसाधनों की भी उपलब्धता हो रही है. ये स्टार्टअप्स न केवल रोजगार पैदा कर रहे हैं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे रहे हैं.

राहुल

लॉकडाउन से प्लास्टिक वेस्ट को नया रूप दे रहे राहुल

नवादा जिला निवासी राहुल और उनके भाई विकास ने लॉकडाउन के दौरान प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करके उसे नए उत्पादों में बदलने का कदम उठाया. उस समय जब घरों में ऑनलाइन खरीदारी और प्लास्टिक उपयोग बढ़ा था, तो दोनों ने अपने आसपास से प्लास्टिक कचरा एकत्र किया और रैग-पिकर्स से भी प्लास्टिक खरीदी. जिसके बाद प्लास्टिक से नये उत्पाद को बनाने लगे. इसमें प्लास्टिक शीट्स, डाइनिंग टेबल, गिफ्ट हैंपर, इको पॉट्स, लैपटॉप स्टैंड और डेस्क ऑर्गनाइजर जैसे आइटम शामिल हैं. राहुल निफ्ट दिल्ली से टेक्सटाइल डिजाइन में स्नातक हैं, अब अपने उत्पादों को बड़े ब्रांड्स जैसे एडिडास, बीएमडब्ल्यू, नीलकमल और टाटा को बेचते हैं. उनका उद्देश्य न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करना है, बल्कि लोगों में प्लास्टिक कचरे और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाना भी है. इस मकसद से वे ”प्लास्टिक पे चर्चा” अभियान चला रहे हैं. राहुल का कहना है कि वे केवल उत्पाद निर्माता नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की दिशा में भी काम कर रहे हैं.

गिफ्टिंग व रोजमर्रा की वस्तुएं बनाते हैं ऋषभ और विश्वजीत

साल 2022 पटना के दो दोस्तों ने स्टार्टअप शुरू करने का सोचा जो इको फ्रेंडली होने के साथ आम लोगों तक आसानी से पहुंच जाये. इस सपने को दोनों दोस्तों में साल 2023 के मई में स्टार्टअप ओरिजिन्स ट्राइब के नाम से शुरू किया. विश्वजीत कुमार जो सिविल इंजीनियर है और ऋषभ कुमार जिन्होंने एप्लाइड इकोनॉमिक्स में पीजी किया है. जिस तरह से पॉलिथीन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं ऐसे में दोनों ने प्लास्टिक फ्री प्रोडक्ट बनाने का सोचा जिसमें बैम्बू, बनाना फाइबर जैसे चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इनके उत्पाद पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में जाते है जिसमें बीटूबी(बिजनेस टू बिजनेस) और बीटूसी(बिजनेस टू कंज्यूमर) के साथ वह ज्यादा काम करते हैं. साल 2023 में स्टार्टअप इंडिया में फंड के लिए आवेदन किया था. पिछले साल उनके स्टार्टअप का चयन किया गया जिसमें उन्हें पंद्रह लाख रुपये की फंडिंग हुई है. स्टार्टअप इंडिया की ओर से उन्हें अटल इन्क्यूबेशन सेंटर की ओर से सहयोग मिलेगा. इसके अलावा सबौर एग्रीकल्चर इनक्यूबेशन सेंटर से स्टार्टअप इनक्यूबेटर किया गया. पिछले डेढ़ साल में इनके स्टार्टअप का टर्नओवर 50-60 लाख रुपये हैं. इनके उत्पाद कॉरोपरेट गिफ्टिंग के साथ रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद तैयार करता है.

रवि शेखर

रवि शेखर ने पढ़ाई-लिखाई छोड़ शुरू कर दिया स्टार्टअप

एलरिक ऑटोमोटिव्स बिहार का एक स्टार्टअप है, जिसके संस्थापक है रवि शेखर. जिन्होंने अध्यापन के कार्य छोड़कर स्टार्टअप प्रारम्भ किया. एलरिक ऑटोमोटिव्स द्वारा इलेक्ट्रिक टू व्हीलर एवं थ्री व्हीलर को बी2बी तथा बी2बी 2सी को रेंट तथा डिलेवरी पर उपलब्ध कराया जाता है. किराये पर उपलब्ध कराये गये व्हीकल की सर्विसिंग, मेंटेनेंस, इंश्योरेंस, बैटरी की अदला- बदली की जिम्मेदारी कंपनी की होती है. रवि शेखर ने बताया कि कंपनी की ओर से जोमैटो, स्वीगी, फिलिपकार्ड, ब्लूडार्ट, बिंलिंकीट जैसे बड़ी कंपनियों को किराये पर अपना वाहन उपलब्ध कराती है. उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा सहित अन्य कई राज्यों में कार्य किया जा रहा है. कंपनी द्वारा अगस्त 2024 में लगभग 78 लाख का राजस्व प्राप्त किया गया है. रवि शेखर ने बताया कि यह कंपनी स्टार्टअप के रूप में बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से संबंध स्टार्टअप है. स्टार्टअप कंपनी अपनी इस बिजनेस मॉडल के माध्यम से कई लोंगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है.

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राकेश कुमार

राकेश ने घर से की थी ओमरूक इंडस्ट्रीज की शुरुआत

सासाराम के राकेश कुमार ने अपने घर से मैकेनिकल और हार्डवेयर के स्पेशल आइटम्स के निर्माण किये जाने का स्टार्टअप शुरू किया. लेकिन आज बढ़कर दिल्ली में तीन गोदाम तथा बिहार में एक गोदाम के जरिये भारत के सभी राज्यों में अपना आइटम की आपूर्ति कर रहे हैं. राकेश कुमार के स्टार्टअप कंपनी का नाम ओमरूक इंडस्ट्रीज प्रा. लि. है, जिसे उन्होंने कंपनी की स्थापना 2020 में की गयी थी. यह कंपनी मैकेनिकल और हार्डवेयर के स्पेशल एवं कस्टमाइज उत्पाद जो कि लोकल मार्केट में आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं, का निर्माण करती है. स्टार्टअप कंपनी के रूप में ओमरूक इंडस्ट्रीज बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआइए) से संबद्ध स्टार्टअप है. कंपनी के संस्थापक राकेश कुमार ने बताया कि उन्हें बीआइए के माध्यम से स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के तहत सीड फंड कैपिटल के रूप में वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करायी गयी है. इस कारण उन्हें अपनी व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाने में काफी सहायता मिली है. कंपनी वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 30 लाख से अधिक का कारोबार कर चुकी है.

संतोष कुमार

प्रति वर्ष तीन करोड़ का कारोबार कर रहे संतोष और कौशलेंद्र

स्टार्टअप ‘देशीमू’ के संस्थापक संतोष कुमार और कौशलेंद्र कुमार शावर्ण हैं. इसकी स्थापना संतोष कुमार ने पांच साल पहले वर्ष 2020 में की थी. अभी ‘देशीमू’ के साथ दस किसान जुड़कर काम रहे हैं. पटना और आसपास के 600 ग्राहक इनसे जुड़े हुए हैं. इन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत मात्र सात गायों से की थी, और आज की तारीख में इनके पास 150 गाये हैं. फिलवक्त वे प्रति वर्ष लगभग तीन करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं. संतोष कुमार ने बताया कि आनंद सागर डेयरी स्टार्टअप बिहार,नाबार्ड, एसबीआइ, इंडियन बैंक और अन्य बैंकों के साथ करार करके मार्च 2027 तक 1000 किसानों को दस साहीवाल नस्ल की गाय के साथ डेयरी खोलकर स्टार्टअप का टर्नओवर 150 करोड़ रुपये तक ले जाने का है. किसानों के साथ दस वर्षों के लिए दूध खरीदने, पशु परामर्श और पशु चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करार करना है. संतोष कुमार ने बताया कि इस स्टार्टअप को मार्च 2024 में दिल्ली में हुए स्टार्टअप महाकुंभ में लाख रुपये का नगद पुरस्कार भी मिल चुका है.

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