Navratri 2024 Ashtami Navmi: बिहार में अष्टमी का व्रत और नवमी का हवन-कन्या पूजन कब

Navratri 2024 पंडित राकेश झा के अनुसार शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन आश्विन शुक्ल दशमी शनिवार को श्रवणा नक्षत्र, धृति योग, रवियोग एवं सर्वार्थसिद्धि योग के सुयोग में देवी दुर्गा की विदाई के बाद जयंती धारण कर श्रद्धालु विजयादशमी का पर्व मनायेंगे

By RajeshKumar Ojha | October 10, 2024 7:23 PM

Navratri 2024 शारदीय नवरात्र की महासप्तमी के दिन गुरुवार को माता का पट मंत्रोच्चार के बीच खोला गया. पूजा पंडालों, मंदिरों और घरों में देवी के सातवें स्वरूप में कालरात्रि माता का पूजन हुआ. पट खुलते ही दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी. मध्यरात्रि के समय महानिशा पूजा हुई.

आचार्य राकेश झा ने कहा कि शुक्रवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सुकर्मा योग और शुभकारी सर्वार्थ सिद्धि योग में आश्विन शुक्ल महाअष्टमी-महानवमी में भगवती दुर्गा का अष्टमी का व्रत, महागौरी की पूजा, संधि पूजा, शृंगार पूजा और महानवमी में सिद्धिदात्री की उपासना, संकल्पित दुर्गा सप्तशती के पाठ का समापन, हवन, कन्या पूजन किया जायेगा. शनिवार को विजयादशमी में देवी की विदाई कर जयंती धारण होगा.

आज होगी महागौरी व सिद्धिदात्री की पूजा

शारदीय नवरात्र में अष्टमी एवं नवमी तिथि एक ही दिन होने से शुक्रवार को देवी के अष्टम व नवम स्वरूप में महागौरी एवं सिद्धिदात्री माता की पूजा होगी. ज्योतिष शास्त्र में महागौरी का संबंध शुक्र ग्रह से है. महागौरी की पूजा में कमल पुष्प, अपराजित का फूल तथा नाना प्रकार के भोग अर्पण होगा. वहीं सिद्धिदात्री की साधना से लौकिक व परलौकिक सभी प्रकार की कामना पूर्ण होते है. सिद्धिदात्री के स्मरण, ध्यान एवं पूजन से भक्तों को सांसारिक असारता का बोध व अमृत पद की प्राप्ति होती हैं.

कन्या में साक्षात भगवती का वास

श्रीमद् देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कन्द के 27वें अध्याय के अनुसार नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. छोटी कन्याएं माता का स्वरूप के समान होती है. दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप होती है. शास्त्रों में दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं.

रवियोग में कल मनेगा विजयादशमी

पंडित राकेश झा के अनुसार शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन आश्विन शुक्ल दशमी शनिवार को श्रवणा नक्षत्र, धृति योग, रवियोग एवं सर्वार्थसिद्धि योग के सुयोग में देवी दुर्गा की विदाई के बाद जयंती धारण कर श्रद्धालु विजयादशमी का पर्व मनायेंगे. जयंती धारण से मानसिक शांति, आरोग्यता, सुख-समृद्धि, पारिवारिक उन्नति का आशीर्वाद मिलता है.विजयादशमी के दिन शनिवार होने से देवी मां की विदाई चरणायुध पर होगी. अष्टमी का व्रत, नवमी का व्रत एवं नवरात्र का उपवास या फलाहार करने वाले श्रद्धालु शनिवार 12 अक्टूबर को देवी की विदाई कर पारण करेंगे.

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