नए शादीशुदा जोड़ों के लिए खास है यह बिहार का मंदिर, नवरात्रि में दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
Navratri 2024: पटना के बड़ी पटन देवी मंदिर के योनी कुंड (हवन कुंड) का वर्णन इतिहास में दर्ज है. जानकारी के मुताबिक इस हवन कुंड का निर्माण सतयुग में ही हो गया था. यह मंदिर शादीशुदा जोड़ों के लिए भी खास माना जाता है. नवरात्र पूजा के नवमी के दिन यहां हवन करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रहती है.
Navratri 2024: पटना के बड़ी पटन देवी मंदिर के योनी कुंड (हवन कुंड) का वर्णन इतिहास में दर्ज है. जानकारी के मुताबिक इस हवन कुंड का निर्माण सतयुग में ही हो गया था. ऐसी मान्यता है कि यह माता सती के पाताल लोक से इस हवन कुंड का सीधा संबंध है. यही कारण है कि इस हवन कुंड में डाली गई सामग्री सीधे पाताल लोक में चली जाती है. यह मंदिर शादीशुदा जोड़ों के लिए भी खास माना जाता है.
नवरात्र पूजा के नवमी के दिन यहां हवन करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रहती है. मान्यता है कि नवमी के दिन हवन के दौरान हवन करने आए लोगों से हवन कुंड की ऊंचाई लगभग 4 फीट ऊंची हो जाती है और फिर यह सामग्री भूगर्भ में चली जाती है.
51 शक्तिपीठों में से एक है पटन देवी मंदिर
रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार की राजधानी पटना का नाम पटन देवी मंदिर के नाम पर साल 1912 में रखा गया था. पटन देवी भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. ऐसी मान्यता है कि यहां माता पार्वती की दाहिनी जांघ गिरी थी. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता सती के पिता दक्ष प्रजापति यज्ञ करवा रहे थे. उसी दौरान राजा दक्ष प्रजापति ने अपनी बेटी सती के पति यानी शिव जी का अपमान कर दिया था. जिसके बाद देवी सती गुस्सा हुई और आग में कूद कर अपना जीवन समाप्त कर ली.
माता सती का मृत शरीर लेकर तांडव कर रहे थे भगवान शिव
जब महादेव को इस बात से वाकिफ हुए तो बेहद क्रोधित हो गए थे. क्रोध में आकर शिव जी ने सती के मृत शरीर को हाथों में लेकर तांडव करने लगे. जिससे पूरा संसार हिल गया था. उसी दौरान भगवान विष्णु ने अपना चक्र चला दिया जिससे माता सती के मृत शरीर के 51 टुकड़े हो गए थे जो अलग-अलग जगहों पर जाकर गिरे. जहां-जहां उनके मृत शरीर के टुकड़े गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ कहलाया. जहां देवी सती का दाहिना जांघ गिरा वह स्थान पटना था. इसलिए यह शक्तिपीठ पटन देवी मंदिर के रूप में जाना गया.
मंदिर में है महाकाली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित
पटना के महाराजगंज में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर में महाकाली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमा है. जो काले पत्थर से बनाई गई है. इन्हें सतयुग का बना हुआ माना जाता है. इसके अलावा यहां एक भैरव की भी प्रतिमा स्थापित है.
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बिहार में पटन देवी मंदिर के हैं दो स्वरूप
बता दें कि पटन देवी मंदिर के दो स्वरूप हैं एक छोटी पटन देवी और दूसरी बड़ी पटन देवी. ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर पटना शहर की रक्षा करता है, इसीलिए यह रक्षिका भगवती पटनेश्वरी के नाम से भी प्रसिद्ध है. इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित हैं.
नए शादीशुदा जोड़े के लिए यह मंदिर है खास
नवरात्र के दिनों में इस मंदिर की भव्यता बढ़ जाती है. बता दें कि दूर-दूर से यहां लोग छोटी और बड़ी पटन देवी के दर्शन करने आते हैं. जो भी भक्त यहां सच्ची श्रद्धा और भक्ति से आते हैं, देवी की पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. जानकारी के मुताबिक नए शादीशुदा जोड़े के लिए यह मंदिर बहुत खास है क्योंकि कहा जाता है जो भी नया जोड़ा यहां दर्शन करने के लिए आता है, उनके वैवाहिक जीवन में एक भी मुश्किलें नहीं आती हैं और उनका जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है.
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