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कदमकुआं में इको फ्रेंडली पंडाल
पटना के कदमकुआं में श्रीश्री दुर्गा पूजा कल्याण समिति की ओर से इस बार इको फ्रेंडली पंडाल बनाया जा रहा है. इसका मुख्य मकसद लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है. इसके लिए कोलकाता से कलाकार आये हैं. पूरा पंडाल जूट से तैयार हो रहा है. पंडाल दक्षिण भारत के मंदिरों के तर्ज होगा.
दुर्गा पूजा को लेकर फ्लाइओवर पर लाइटिंग
पटना के राजीव नगर चौराहा के पास फ्लाइओवर पर लाइटिंग की गयी है. इसके अलावा पूजा सामग्री से जुड़े स्टॉल भी वहां मौजूद है. अधिकांश पंडालों और मंदिरों में षष्ठी से लाइटिंग की जगमगाहट देखने को मिलेगी. वहीं सप्तमी से नवमीं तक विभिन्न पंडालों के आस-पास फूड स्टॉल और अन्य दुकानें में लोगों की भीड़ दिखेगी.
एलइडी व सीरिज लाइट से रास्तों को रौशन किया जा रहा
डाकबंगला चौराहा पर बनाये गये गेटों पर लाइटिंग समय-समय पर जलाकर टेस्ट किया जा रहा है. चिड़ैयाटांड़ पुल के नीचे, कंकड़बाग, भूतनाथ रोड, दानापुर, पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास लाइटिंग शुरू कर दी गयी है. एलइडी व सीरिज लाइट से रास्तों को रौशन किया जा रहा है.
पटना में थीम बेस्ड डेकोरेशन और लाइटिंग
दुर्गा पूजा के लिए इस वर्ष पटना के पंडालों और सड़कों पर थीम बेस्ड डेकोरेशन और लाइटिंग की गई है. शहर के विभिन्न इलाकों में लाइटिंग, रिबन और सजावट का कार्य जारी है. वहीं कुछ जगहों पर लाइटिंग शुरू हो चुकी है.
यहां देखें मां दुर्गा की चलंत प्रतिमा
गया शहर में इस बार दुर्गा पूजा के लिए अलग- अलग पूजा समितियों द्वारा भव्य व आकर्षक पंडाल बनाए जा रहे हैं. इस बार गया के श्री दुर्गा पूजा समिति द्वारा हाते गोदाम परिसर में भव्य पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. इस पंडाल में स्थापित शांति स्वरूप मां दुर्गा की चलंत प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए न केवल दर्शनीय होगी, बल्कि उन्हें अपनी ओर आकर्षित भी करेगी.
किस दिन कैसे होती है पूजा
सुबह तीन से पांच बजे तक पूजा के साथ कलथ स्थपित किया गया और इसके बाद भक्त दर्शन के लिए आने लगे. यहां पर त्रिकाल आरती की जाती है. वहीं सप्तमी को एक ओर माता की मूर्ति की पूजा की जाती हैं. अष्टमी के दिन निशा पूजा की जाती हैं. इसी दिन 108 दीप जलाकर पूजा की जाती हैं. नवमीं के दिन भंडारा होता है. पूजा के पहले दिन भक्तों ने ना सिर्फ माता रानी के दर्शन की किये बल्कि उनसे आशीर्वाद भी लिया.
अखंडवासिनी मंदिर में 50,000 से ज्यादा भक्त दर्शन के लिए आते
पटना के गोलघर के पास स्थित अखंडवासिनी मंदिर में नवरात्रि के दौरान काफी भीड़ हो रही है. 1902 में स्व विश्वनाथ तिवारी ने यहां माता के लिए दो अखंड दीप जलाया था. एक दीप सरसों तेला है और दूसरा घी का. उसी के बार से परंपरा शुरू हुई. नवरात्र में भक्त अपनी मनोकामना और प्रार्थना के लिए नौ दिनों तक दीप जलाते हैं. पिछले 15 वर्षों से विशाल तिवारी यहां पूजा कर रहे हैं. वे बताते हैं कि षष्ठी से लेकर दसमीं तक 50,000 से ज्यादा भक्त दर्शन के लिए आते हैं.