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मगही को आठवीं अनुसूची में लाने के लिए संघर्ष की जरूरत: मांझी

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है. इसके लिए मगही क्षेत्र के लोगों को अपने सांसद व विधायकों पर दबाव बनाएं.

संवाददाता, पटना : मगही लोक भाषा है. मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है. अन्य भाषाओं की तरह जब तक मगही को राजनीतिक समर्थन नहीं मिलेगा, तब तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायेगी. मगही क्षेत्र के लोगों को अपने स्थानीय सांसद, विधायकों पर इसके लिए दबाव बनाने की जरूरत है. ये बातें केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने रविवार को कॉलेज ऑफ काॅमर्स के आर्ट्स एंड साइंस के सभागार में रविवार को मगही अकादमी गया मगही लोक तूतवाड़ी, गया द्वारा आयोजित डॉ रामप्रसाद सिंह अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि डाॅ रामप्रसाद सिंह मगही के विकास के प्रति समर्पित थे. उनके कार्य को प्रो उपेंद्रनाथ वर्मा आगे बढ़ा रहे हैं.कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी, नेपाल पूर्व मंत्री भारत प्रसाद साह, बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चौधरी ,पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय कुलपति आर के सिंह,मगध विश्वविद्यालय कुलपति शशि प्रताप शाही,हिंदी साहित्य सम्मेलन अध्यक्ष डॉ.अनिल सुलभ, मगही अकदामी अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र नाथ वर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित और डा रामप्रसाद सिंह के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो उपेंद्रनाथ वर्मा ने किया. नेपाल के पूर्व मंत्री भारत प्रसाद साह ने कहा कि नेपाल में मगही भाषा का विकास और प्रयोग अधिक किया जा रहा है. नेपाल सरकार के मगही भाषा के प्रति संवेदनशील है. बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग अध्यक्ष प्रो गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि साहित्य समाज दर्पण है. साहित्य के प्रति रुचि में कमी अफसोसजनक है. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरके सिंह ने कहा कि मगही के विकास के लिए आंदोलन की आवश्यकता है. वहीं, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि प्रताप शाही ने मगही अकादमी, गया से आगामी कार्यक्रम मगध विश्वविद्यालय, बोधगया में करने का आग्रह किया. उन्होंने मगही अकादमी, गया की काफी प्रशंसा की. 2024 का अवार्ड डॉ ललन प्रसाद सिंह, ओमप्रकाश जमुआर और भुवनेश्वर महतो नेपाल को दिया गया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य प्रो अनिल कुमार सिन्हा, प्रो उषा सिन्हा, डॉ दिलीप कुमार, अलखदेव प्रसाद, नृपनदर नाथ, कविता कुमारी आदि ने डॉ रामप्रसाद सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला.

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