कैंपस : वहाब अशरफी के लेखनी पर शोध करने की आवश्यकता, शोधकर्ताओं की हर संभव मदद करेगी बज्मे सदफ

कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना में उर्दू के विद्वान और आलोचक ‘वहाब अशरफी की आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि’ विषय पर सोमवार को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया

By Prabhat Khabar News Desk | August 5, 2024 9:10 PM

संवाददाता, पटना

कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना में उर्दू के विद्वान और आलोचक ‘वहाब अशरफी की आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि’ विषय पर सोमवार को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार का आयोजन कतर दोहा की साहित्यिक संस्था बज्मे सदफ इंटरनेशनल और कॉलेज ऑफ कॉमर्स उर्दू विभाग की ओर से हुआ. सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कहानीकार प्रो अब्दुस समद ने कहा कि वहाब अशरफी बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक थे. वह सिर्फ आलोचक नहीं बल्कि कवि, कहानीकार और पत्रकार भी थे. विशिष्ट अतिथि के रूप में सेमिनार को संबोधित करते हुए दोहा कतर से आये बज्मे सदफ इंटरनेशनल के अध्यक्ष शहाबुद्दीन अहमद ने वहाब अशरफी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनकी लेखनी पर और विस्तार से शोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी संस्था शोधकर्ताओं की हर संभव मदद करेगी. सेमिनार का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्य प्रो इंद्रजीत प्रसाद राय ने कहा कि प्रो वहाब अशरफी कद्दावर व्यक्तित्व के मालिक थे. उर्दू के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो सफदर इमाम कादरी ने वहाब अशरफी की लेखनी के विभिन्न विधाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला.

वहाब अशरफी ने अलग राह बनायी

सेमिनार को संबोधित करते हुए पटना लिट्रेरी फेस्टिवल के संस्थापक खुर्शीद अहमद ने कहा कि वहाब अशरफी अपने आप में एक संस्था थे. सेमिनार में शिरकत करने दुबई से आये उनके पुत्र शहीर अशरफी ने कहा कि उन्होंने उर्दू साहित्य को समृद्ध करने के लिए अन्य विषयों का भी गहन अध्ययन किया. उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं को उर्दू साहित्य के साथ साथ अन्य विषयों का भी अध्ययन करने का सुझाव दिया. प्रो अफरोज अशरफी, मौलाना मजहरूल हक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एजाज अली अरशद ने कहा कि वहाब अशरफी उर्दू साहित्य की आलोचना करते समय किसी की पैरवी या नकल नहीं की बल्कि उन्होंने अपनी अलग राह बनायी और उसी पर चलते रहे.

मेधावी स्टूडेंट्स के साथ 71 नव नियुक्त व्याख्याताओं को किया गया सम्मानित

इस अवसर पर उर्दू विभाग की शोध पत्रिका उर्दू टू डे के नये अंक तथा शमीम कासमी की पुस्तक ‘खाशाक ए तनकीद’ का विमोचन भी किया गया. सेमिनार में अन्य लोगों के अलावा साहित्य आकादमी सम्मान से पुरस्कृत डॉ जफर कमाली, भैरव गंगोली कॉलेज कोलकाता के डॉ मो तय्यब नोमानी, दुबई से आये शकील अशर्फी, आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ संतोष कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये. मंच का संचालन डॉ अफशां बानों ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ अकबर अली ने किया. इस अवसर पर बीए और एमए के टॉपरों और लेख प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया. साथ ही बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा नव नियुक्त उर्दू के 71 व्याख्याताओं को सम्मानित भी किया गया.

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