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मेडिकल व इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में हो सकता है बड़ा बदलाव, जानें नयी शिक्षा नीति के तहत किस तैयारी में है सरकार

स्टूडेंट्स मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा अपनी मातृभाषा में दे सकते हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को सिलेबस तैयारी करने की जिम्मेदारी दी गयी है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने एनटीए को सभी राज्यों के प्रदेश शिक्षा बोर्ड के साथ बैठक कर मूल्यांकन के आधार पर राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस तैयार करने को कहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 28, 2020 7:05 AM

स्टूडेंट्स मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा अपनी मातृभाषा में दे सकते हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को सिलेबस तैयारी करने की जिम्मेदारी दी गयी है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने एनटीए को सभी राज्यों के प्रदेश शिक्षा बोर्ड के साथ बैठक कर मूल्यांकन के आधार पर राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस तैयार करने को कहा है.

विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगे की तैयारियों पर एक दिसंबर को बैठक होगी. इसके साथ ही बैठक में सत्र 2021 में किन-किन आइआइटी, एनआइटी और अखिल भारतीय तकनीक शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) में मातृभाषा में पढ़ाई होगी इसकी भी चर्चा होगी. मातृभाषा की पढ़ाई कुछ खास आइआइटी और एनआइटी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत होगी.

नयी शिक्षा नीति के तहत ही यह काम शुरू किया जा रहा है ताकि राज्यों और अन्य केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में स्थानीय मातृभाषा में स्टूडेंट्स पढ़ाई कर सकें. सत्र 2021 में कुछ आइआइटी और एनआइटी में हिंदी, मराठी, गुजराती, बंगाली, पंजाबी, तमिल, कन्नड़, तेलगू, मलयालम, असमिया, कश्मीरी आदि भाषाओं में इंजीनियरिंग और मेडिकल की किताब पढ़ने को मिलेगी.

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हालांकि मातृभाषा में सबसे पहले इंजीनियरिंग कॉलेजों में ही पढ़ाई शुरू की जायेगी. धीरे-धीरे अन्य कोर्स में भी इसे लागू किया जायेगा. एनटीए के अधिकारी ने कहा कि आठवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में अनिवार्य की गयी है. इस कारण यदि राज्य सरकार चाहे तो मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत सामान्य डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई भी अपने यहां मातृभाषा में शुरू करवा सकती है. इससे पहले नीट 12 भाषाओं में आयोजित हो चुकी है.

Posted by : Thakur Shaktilochan

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