NEET सॉल्वर गैंग के सरगना बच्चों का मार्कशीट-सर्टिफिकेट रखता था गिरवी, फुल पैमेंट के बाद करता था वापस, खुलासा
NEET solver gang: पुलिस ने खुलासा करते हुए कहा है कि सॉल्वर गैंग द्वारा सबसे पहले डील किया जाता था. इसके बाद छात्रों से एडवांस के रूप में पैसा लिया जाता है. पैसा लेने के बाद छात्रा का सारा डॉक्यूमेंट (मार्कशीट, सर्टिफिकेट, आधार कार्ड वगैरह) ले लिया जाता था.
नीट परीक्षा में फर्जी तरीके से पास कराने के वाले सॉल्वर गैंग के सरगना पीके की तलाशी में तीन राज्यों की पुलिस लगी हुई है. पुलिस की टीम लगातार अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है. इसी बीच पुलिस ने सरगना पीके के बारे में बड़ा खुलासा किया है. इधर, पीके की तलाशी में पुलिस की टीम लगातार जुटी हुई है.
रिपोर्ट के मुताबिक प्रेम प्रकाश उर्फ पीके की तस्वीर जारी करने के बाद पुलिस ने उसके गैंग के कामकाज को लेकर खुलासा किया है. पुलिस ने कहा है कि सॉल्वर गैंग द्वारा सबसे पहले एग्जाम को लेकर डील किया जाता था. इसके बाद छात्रों से एडवांस के रूप में पैसा लिया जाता है. पैसा लेने के बाद छात्रा का सारा डॉक्यूमेंट (मार्कशीट, सर्टिफिकेट, आधार कार्ड वगैरह) ले लिया जाता है.
वहीं पुलिस ने आगे बताया कि जैसे ही रिजल्ट जारी होता है. सॉल्वर गैंग के लोग परिजनों से संपर्क शुरू कर देता है और फुल पैमेंट लेने का बाद डॉक्यूमेंट वापस करता है. पुलिस को शक है कि सरगना के पास अभी भी करीब दो दर्जन से अधिक छात्रों का डॉक्यूमेंट होगा.
इससे पहले पुलिस ने खगड़िया और जहानाबाद से विकास कुमार महतो और राजू कुमार की गिरफ्तारी की थी. जिसके बाद पहली बार पीके की तस्वीर यूपी पुलिस (UP Police) के हाथ लगी है. वहीं दोनों से पूछताछ में पुलिस को कई छात्रों की तस्वीर व उनका पूरा डिटेल भी मिला है. किसी में पेड, तो किसी में ड्यूज लिखा है.
सूत्रों की मानें तो पेड यानी कैंडिडेट ने पूरा पैसा पेमेंट किया था, ड्यूज यानी कैंडिडेट का पैसा अभी बाकी है. बताया जा रहा है कि पटना के कई कोचिंग संस्थान भी पुलिस की रडार पर है.
पीके की गिरफ्तारी के बाद सामने आएगा पूरा सच- पुलिस टीम अभी सरगना पीके की तलाशी में जुटी है. पुलिस को उम्मीद है कि पीके की गिरफ्तारी के बाद पूरा सच सामने आ जाएगा. वहीं कल सारण जिले के सेंधवा गांव स्थित पीके के घर पुलिस गयी, तो पता लगा कि वहां उसने अपने करीबियों को बता रखा है कि वह बिजनेसमैन है. उसके गैंग के सभी सदस्य फर्जी आइडी पर लिये गये सिम कार्ड का उपयोग करते हैं. पुलिस को शक है कि पीके त्रिपुरा, कोलकाता या बेंगलुरू में छुपा हो सकता है.