वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वाल्मीकि नगर वनक्षेत्र के वाल्मीकि आश्रम क्षेत्र में नेपाली क्षेत्र से भटक कर आए हाथियों की गतिविधियां गुरुवार की सुबह दर्ज की गई. सूत्रों की मानें तो वनकर्मियो की टीम के हाथियों खोजबीन में लगाया गया है. प्रायः नेपाली हाथी टाइगर रिजर्व की हरियाली और पौष्टिक आहार की तलाश में टाइगर रिजर्व क्षेत्र में प्रवेश कर जाते है. स्वभाव से हिंसक होने के कारण वे क्षति भी पहुंचाते है. सुरक्षा के मद्देनजर टाइगर रिजर्व की सुरक्षा में तैनात हाथियों को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया गया है.
हाथियों की ताजा लोकेशन भालू थापा काला पानी के नजदीक दर्ज की गई है. उक्त क्षेत्र में हाथी के पग मार्क वन कर्मियों को प्राप्त हुए हैं. उस आधार पर वन कर्मी हाथी की मॉनिटरिंग में जुटे हैं. नेपाली हाथी प्रायःटाइगर रिजर्व की हरियाली और पौष्टिक आहार की तलाश में टाइगर रिजर्व क्षेत्र में प्रवेश कर जाते है. और स्वभाव से हिंसक होने के कारण क्षति भी पहुंचाते है. इस बाबत वनसंरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी ने बताया कि हाथियों में तीन से चार व्यस्क और दो शावक के होने का अनुमान पगमार्क के मुताबिक लगाया जा रहा है. वही इस बाबत रेंजर अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि अभी नेपाली हाथी के भालू थापा क्षेत्र के नजदीक नेपाल सीमा पर विचरण की सूचना है .वनकर्मियो द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है.
टाइगर रिजर्व में वन संपदा और वन्यजीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले पेट्रोलिंग में सहायक चारों हाथियों राजा, द्रोणा, मणिकंठा और बालाजी को नेपाली हाथियों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने की संभावना को देखते हुए जटाशंकर हाथीशाला से कौशल विकास केंद्र कोतराहा में 11 जुलाई को शिफ्ट कर दिया गया. था. सीएफ ने बताया कि नेपाली हाथी स्वभाव से हिंसक और आक्रामक होते हैं. सुरक्षा के मद्देनजर टाइगर रिजर्व की सुरक्षा में तैनात हाथियों को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया गया है. हालांकि एहतियातन सुरक्षा से जुड़े सभी कदम उठाए जा रहे हैं.
पहले भी नेपाली हाथी रास्ता भटककर रिहायशी क्षेत्रों के नजदीक पहुंचकर उत्पात मचा चुके हैं.चितवन नेशनल पार्क नेपाल की सीमा वीटीआर से सटा होने के कारण यहां बाघ,गैंडा भी भटक कर पहुंचे रहते है. यह पहला मामला नहीं है जब वीटीआर में जंगली हाथी घुस आए हों. इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है कि जंगली हाथी इस क्षेत्र में आकर उत्पात मचा चुके हैं. वन प्रशासन द्वारा जंगली जानवरों को वापस नेपाल के जंगल की ओर खदेड़ा जाता है. नेपाली हाथियों के उत्पात और हिंसक होने के चलते ग्रामीणों में भय, दहशत का माहौल एक बार कायम हो गया है.