मखाना के नये बीज से एक हेक्टेयर में होगा पांच टन उत्पादन, मुनाफा भी दोगुना
राज्य में मखाना उत्पादन को बढ़ाने देने के साथ मखाना से किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय की ओर से कार्ययोजना तैयार की गयी है. निदेशालय ने सबौर कृषि विवि के साथ मिल कर मखाना के सरना वैदेही व सबौर-वन जैसे दो उन्नत बीज तैयार करवाये हैं. इसका पूर्णिया व दरभंगा क्षेत्र में प्रयोग भी शुरू किया जा रहा है. नये बीज की खासियत है कि उत्पाद की गुणवत्ता एक समान व बेहतर होगी. इसके साथ उत्पादन क्षमता भी 1.2 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ कर चार से पांच टन हो जायेगी.
पटना : राज्य में मखाना उत्पादन को बढ़ाने देने के साथ मखाना से किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय की ओर से कार्ययोजना तैयार की गयी है. निदेशालय ने सबौर कृषि विवि के साथ मिल कर मखाना के सरना वैदेही व सबौर-वन जैसे दो उन्नत बीज तैयार करवाये हैं. इसका पूर्णिया व दरभंगा क्षेत्र में प्रयोग भी शुरू किया जा रहा है. नये बीज की खासियत है कि उत्पाद की गुणवत्ता एक समान व बेहतर होगी. इसके साथ उत्पादन क्षमता भी 1.2 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ कर चार से पांच टन हो जायेगी.
प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 90 लाख की सब्सिडी उद्यान निदेशालय की योजना है कि मखाना के उत्पादन के दौरान लगने वाले मैनपॉवर व कठिन मेहनत को कम किया जाये. इसके लिए किसान व किसानों के ग्रुप को ही मखाना के पॉपिंग व प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया जा रहा है. इसमें एक करोड़ के इस प्लांट में विभाग 90 लाख तक सब्सिडी देने की प्लानिंग की जा रही है. वहीं, इसकी ब्रांडिंग के लिए भी सबौर विवि को उद्यान निदेशालय की ओर से अच्छी रकम दी जा रही है, ताकि मखाना के उत्पाद की गुणवत्ता पूर्ण छंटाई और अच्छी पैकेजिंग के लिए ट्रेनिंग दी जा सके.
एक हेक्टेयर में पांच लाख तक की कमाई मखाना के उत्पादन के बाद अगर किसान अपने स्तर से पॉपिंग व प्रोसेसिंग के बाद पैकेजिंग करते हैं तो मात्र एक हेक्टेयर से ही काफी अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. वर्तमान स्थिति में किसान एक हेक्टेयर में मखाना का उत्पादन कर रहा है तो उसे केवल उत्पादन के बाद सीधे बेच देने पर 1.30 से 1.50 लाख तक की आमदनी होती है. मगर, गुणवत्तापूर्ण छटाई, प्रोसेसिंग व पैकेजिंग का काम अपने स्तर या किसान ग्रुप के माध्यम से करते हैं तो आमदनी प्रति हेक्टेयर पांच लाख तक बढ़ सकती है.
दो तरह की खेती वर्तमान में बिहार 99 फीसदी तक मखाना का उत्पादन करता है. दरभंगा व मधुबनी जिले में यह खेती तालाब में होती है, जबकि पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया आदि जिलों में तालाब और खेत दोनों में खेती होती है. वर्तमान में जल-जीवन-हरियाली के माध्यम से जो चौर आदि का विकास किया जा रहा है. वहां भी इसकी खेती की शुरुआत की जायेगी. फिलहाल 25 हजार हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है और उत्पादन 1. 20 लाख टन से अधिक होता है.कोट – राज्य योजना के तहत मखाना विकास व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए योजनाएं चलायी जा रही हैं. इस वर्ष भी इसमें काफी बेहतर प्रयास किया जायेगा. कई स्कीम निकाल का उत्पादन व मुनाफा दोनों बढ़ाने की योजना है.
डीएन महतो, उप निदेशक, उद्यान निदेशालय