12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Patna News: जब आप समय से काम करेंगे तो स्ट्रेस कम रहेगा, जानें डॉ शाइस्ता बेदार से विशेष बातचीज के अंश

Patna News: डॉ शाइस्ता बेदार वर्तमान में खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी की पहली महिला निदेशक हैं. वे भारतीय इतिहासकार के साथ-साथ विद्वान और पुस्तकालय विज्ञान की विशेषज्ञ हैं.

Patna News: अलीगढ़ मुस्लिम विवि की मौलाना आजाद लाइब्रेरी की सहायक लाइब्रेरियन डॉ शाइस्ता बेदार किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. वर्तमान में खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी की पहली महिला निदेशक हैं. वे भारतीय इतिहासकार के साथ-साथ विद्वान और पुस्तकालय विज्ञान की विशेषज्ञ हैं और पर्शियाई, उर्दू और हिंदी साहित्य पर कई शोध पत्र और पुस्तकें लिखी चुकी हैं. इन्हें अब तक बिहार राज्य उर्दू अकादमी पुरस्कार, हाजी अहमद हुसैन पुरस्कार और अंजुमन-ए-तरक्की-ए-उर्दू जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त है. खुदा बख्श लाइब्रेरी में लगभग 10 लाख पन्नों की पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण कराने में इनकी भूमिका अग्रणी रही हैं. आइए जानते है डॉ शाइस्ता बेदार से हिमांशु देव की विशेष बातचीज के अंश…

Q. लाइब्रेरी से आपको कितना लगाव है? इससे आप कैसे जुड़ीं?

Answer- मेरा पूरा बचपन पटना में बीता है. पीएचडी की पढ़ाई पटना विवि से पूरी हुई है. करीब 25 साल मैंने यहां गुजारा है. पहले भी मेरा ज्यादातर समय लाइब्रेरी में ही बीतता था और अभी भी बीत रहा है. किताबों से मेरा पुराना नाता रहा है. मुझे इनके साथ सुकून मिलता है. पांडुलिपियों को पढ़ना, स्कॉलर्स की सेवा करना आदि मेरी प्राथमिकता थी. फिर 1993 में मैं एएमयू चली गयी. बाद में साल 2019 में खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी की पहली महिला निदेशक बनी.

Q. आप बतौर पहली महिला निदेशक हैं. ऐसे में वर्कलोड काफी ज्यादा होता होगा. फिर आप घर को कैसे संभाली ?
Answer- किसी भी काम को करने के लिए समय का निर्धारण करना बेहद जरूरी होता है. कहने का मतलब यह है कि टाइम मैनेजमेंट कर जब आप कोई भी काम समय पर करेंगे, तो स्ट्रेस कम रहेगा. मैंने भी टाइम मैनेजमेंट कर अपने परिवार और दफ्तर दोनों के बीच संतुलन बनाकर रखा. हालांकि मेरे लिए यह अच्छा था कि मुझे बच्चों के बारे में कम सोचना पड़ा. वे अपने पैरों पर खड़े हो गये हैं.

Q. खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी में निदेशक के अनुभवों को बताएं.
Answer- खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी में मैं वर्ष 2019 में ज्वाइन की थी. यहां सात साल से निदेशक का पद रिक्त था. ऐसे में यहां काम काफी ज्यादा था. रुकी हुई गाड़ी को चलाना काफी मुश्किल होता है. लेकिन, लगातार प्रयास से काफी बदलाव किए. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण लाइब्रेरी में जगह बढ़ाना. स्टूडेंट्स के लिए जगह अलग रखना, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं, सिविल सेवा, न्यायिक संघ आदि की तैयारी शांत वातावरण में कर सकें. बच्चों को आइएएस ऑफिसर्स से लगातार इंटरेक्शन कराती रही. यहां के सभी दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन कराया.

Also Read: Pustak Mela: हरिवंश की चार दशक की पत्रकारिता में लिखे गये आलेखों का संकलन है ‘समय के सवाल’ श्रृंखला’ में प्रकाशित दस पुस्तकें

Q. लाइब्रेरी व डिजिटल सामग्री में बच्चे क्या अपनाएं.
Answer- सामग्री को डिजिटल करने का मकसद बहुमूल्य दस्तावेजों को महफूज करने व कॉपी तैयार करने के लिए किया जा रहा है. साथ ही, कहीं से भी लोग इसे पढ़ सकें. लेकिन, किताब फिजिकल किताब पढ़ने का अनुभव अलग होता है. इसके लिए हमने लाइब्रेरी में कई प्रतियोगिता करवायी हैं. बच्चों के 200 से 300 किताबों को रख दिया जाता था, जिसे पढ़कर उनके विचार रखने को कहा जाता था.

Q. सुदुर गांवों में लाइब्रेरी नहीं है, इसके लिए क्या पहल हो सकती है?
Answer- यह बहुत जरूरी है. इसके लिए हमने प्रस्ताव भी रखा था. जिसमें मोबाइल लाइब्रेरी की सुविधा बहाल करने के बारे में जिक्र था. ताकि, जिसे पढ़ने का शौक है, वे आसानी से किताब ले सकें. गांव में घूम-घूम कर किताब बांटी जाये व अगले सप्ताह वहां से कलेक्ट कर लिया जाये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें