NHAI: पटना. पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई बढ़ने के साथ ब्लैक स्पॉटों की संख्या में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. बिहार में भी ऐसे ब्लैक स्पॉटों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस कारण हाइवे पर होनेवाले हादसों और मौतों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़ी है. इसका खुलासा हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से जारी आंकड़ों से हुआ है.
ब्लैक स्पॉट हटाने में तीन राज्य फिसड्डी
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के इन आंकड़ों में सबसे चौंकानेवाली बात ब्लैक स्पॉट को लेकर की गई है. देश के अन्य राज्य अपने इलाके से होकर गुजरनेवाले एनएच पर चिन्हित ब्लैक स्पॉट को समाप्त करने में देरी नहीं करते हैं, लेकिन बिहार, केरल और तमिलनाडु ब्लैक स्पॉट हटाने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. बिहार की स्थिति सबसे खराब है. बिहार न केवल ब्लैक स्पॉट हटाने में सबसे पीछे हैं, बल्कि हाइवे पर ब्लैक स्पॉट के कारण होनेवाले हादसों में भी यूपी के बाद बिहार दूसरे नंबर पर है.
दिल्ली का आंकड़ा सबसे बेहतर
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार सबसे खराब हालत बिहार और केरल की है. वहीं, बेहतर करनेवालों में दिल्ली 93.55, मध्य प्रदेश 92.81 और तेलंगाना 91.74 प्रतिशत के साथ क्रमश पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 270 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए थे, इनमें से केवल 10 को ही सुधारा जा सका. वहीं, झारखंड में 33 में से 25, यूपी में 327 में से 277, उत्तराखंड के 37 में से 31 और दिल्ली के 31 में से 29 ब्लैक स्पॉट को खत्म किया गया.
बिहार में सड़क हादसे में मौतें भी बढ़ी
एनएचएआई की ओर से जारी आकड़ों के अनुसार बिहार में सड़क दुर्घटनाओं और उनमें होनेवाली मौतें भी वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि झारखंड में यह 2.7, उत्तराखंड और दिल्ली दोनों में 1.5 प्रतिशत रही. इस तरह देखा जाए तो इन पांच राज्यों में से यूपी में मौतें की दर सर्वाधिक रही. बिहार दूसरे और झारखंड तीसरे स्थान पर हैं.