संवाददाता, पटना राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग में एनआइटी, पटना ने 2024 में एक पायदान की छलांग लगायी है, लेकिन इसके मानक के कई बिंदुओं पर बेहतर प्रदर्शन किया है. इसमें शिक्षक-छात्र रेशियो में काफी अंतर होने के कारण रैंकिंग में गुणात्मक छलांग नहीं देखी जा रही है. वर्ष 2023 व 2024 के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो टीचिंग लर्निंग रिसोर्स में गिरावट दर्ज की गयी है. यह 61.49 से घट कर 60.91 हो गया है. रिसर्च प्रोफेशनल प्रैक्टिस मानक में 39.77 से बढ़ कर 43.86 तक पहुंच गये हैं. ग्रेजुएशन आउटकम में 70.28 से बढ़ कर 74.16, आउटरिच एंड इंक्यूसिविटी में 52.28 से घट कर 49.80 अंक मिले हैं. पीयर परसेप्शन में 4.87 से बढ़ कर 10.42 अंक तक पहुंच गया है. बताया जाता है कि रैंकिंग में यह ग्राफ का अनुपात एक शिक्षक पर 10 विद्यार्थी होने चाहिए, जबकि यहां करीब 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक कार्यरत हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से इसके पदसृजन की प्रक्रिया हो, तो इसके ग्राफ में गुणात्मक सुधार होने की संभावना है. संस्थान की एनआइआरएफ रैंकिंग के वर्ष 2023 व 2024 के ग्राफ पर ध्यान दे, तो संस्थान ने कई मानकों पर बेहतर किया है. अन्य राज्यों के छात्र अनुपात, पीएचडी के अनुपात, महिलाओं के प्रतिशत के मानक में अंक बढ़े हैं. इसमें शिक्षण, सीखना व संसाधन के मानक के स्थायी संकाय व छात्र अनुपात 22.14 से घट कर 20.29 तक आ गया है़ बताया जाता है कि मंत्रालय की ओर से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में पदसृजन की प्रक्रिया में परेशानी नहीं होती, लेकिन एनआइटी में यह परेशानी होने के कारण मामला फंस जाता है. एनआइटी, पटना के निदेशक प्रो पीके जैन ने कहा कि अधिकारी रैंकिंग सुधारने को लेकर कई स्तर पर कवायद किये जा रहे हैं. शिक्षक-छात्र रेशियो कम है. इसके लिए पदसृजन की कवायद की जायेगी. अन्य मानकों को भी ठीक करने के लिए कवायद चल रही है.
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