कोसी-मेची लिंक परियोजना को नीतीश कैबिनेट से मिली मंजूरी, चार जिलों को होगा फायदा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गुरुवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में कोसी-मेची लिंक परियोजना को हरी झंडी मिल गई है. इसके लिए फिलहाल दो करोड़ 78 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है.
राज्य की महत्वाकांक्षी कोसी-मेची लिंक परियोजना का काम जल्द शुरू होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गुरुवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में इसके लिए हरी झंडी मिल गई है. इसका डीपीआर गठन, सर्वेक्षण और अन्वेषण कार्य के लिए करीब दो करोड़ 78 लाख रुपये की प्रशासनिक और खर्च की स्वीकृति मिल गई है.
सीमांचल के विकास के लिए मील का पत्थर
कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि यह परियोजना सीमांचल के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी. बाढ़ के प्रभाव को कम करने और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परिकल्पना के अनुरूप यह एक अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना है. इसके पूर्ण होने से सीमांचल के चार जिलों- पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया के करीब दो लाख 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा के साथ-साथ बाढ़ से भी राहत मिलेगी.
मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करते हुए, इसके लिए केंद्रांश 60 फीसदी और राज्यांश 40 फीसदी के रूप में बजटीय प्रावधान की मंजूरी दी गई है. हालांकि राज्य सरकार की ओर से कोसी-मेची लिंक परियोजना लिए भी मध्य प्रदेश की केन-बेतवा लिंक परियोजना की तर्ज पर केंद्रांश 90 फीसदी और राज्यांश 10 फीसदी बजटीय प्रावधान की मांग जारी है.
चार जिलों को होगा फायदा
इस परियोजना से अररिया जिले में 69,642 हेक्टेयर, पूर्णिया जिले में 69,970 हेक्टेयर, किशनगंज जिले में 39,548 हेक्टेयर और कटिहार जिले में 35,653 हेक्टेयर, यानी कुल 2,14,813 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी.
इस परियोजना के कार्यान्वयन से अररिया जिला अंतर्गत फारबिसगंज, कुर्साकाटा, सिकटी, पलासी, जोकीहाट एवं अररिया प्रखंड, किशनगंज जिला अंतर्गत टेढ़ागाछ, दिघलबैंक, बहादुरगंज एव कोचाधामन प्रखंड, पूर्णिया जिला अंतर्गत बैसा, अमौर एवं बायसी प्रखंड तथा कटिहार जिला अंतर्गत कदवा, डंडखोड़ा, प्राणपुर, मनिहारी एवं अमदाबाद प्रखंड लाभान्वित होंगे. इस परियोजना के अंतर्गत कुल लगभग 1397 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से 632 हेक्टेयर भूमि पूर्व से अधिग्रहित है, जबकि 765 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना है.