जमीन अधिग्रहण के लिए नीतीश सरकार ने बनाया नया प्लान , इन 5 संस्थाओं को मिली अहम भूमिका
Bihar Bhumi: नीतीश सरकार ने भू-अर्जन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. 5 प्रमुख संस्थाओं को सामाजिक प्रभाव आकलन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि अधिकारियों को जनसुनवाई में सक्रिय भूमिका निभाने और समयबद्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
Bihar Bhumi: भू-अर्जन के दौरान आम जनता की चिंताओं को प्राथमिकता देते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नए निर्देश जारी किए हैं. भूमि अर्जन प्रक्रिया में सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) को गंभीरता से लागू करने और जन-सुनवाई में जिला भू-अर्जन अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य करने का फैसला लिया गया है. इस संबंध में भू-अर्जन निदेशक कमलेश कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि SIA का कार्य तय समय सीमा में पूरा हो और प्रभावित लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सके.
समय पर पूरा होगा सामाजिक प्रभाव आकलन
भूमि अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रियाओं में देरी और सामाजिक प्रभाव आकलन की उपेक्षा को लेकर निदेशालय को लगातार शिकायतें मिल रही थीं. अधिकारियों की गैरमौजूदगी से SIA प्रतिनिधियों को परियोजना से संबंधित सवालों का जवाब देने में कठिनाई होती थी, जिससे परियोजनाओं में अनावश्यक विलंब हो रहा था. इसे देखते हुए जन-सुनवाई के दौरान भू-अर्जन अधिकारियों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है.
स्थानीय स्तर पर होगी जन-सुनवाई
सामाजिक प्रभाव आकलन की प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर आयोजित की जाती है, जिसमें गांव और वार्ड के जनप्रतिनिधियों, प्रभावित रैयत, और संबंधित परियोजना के अधिकारियों की भागीदारी होती है. इस प्रक्रिया में यह जांच की जाती है कि प्रस्तावित भूमि अर्जन लोक प्रयोजन के लिए जरूरी है या नहीं. साथ ही, विस्थापन से प्रभावित होने वाले लोगों के पुनर्वास और उनकी जरूरतों पर भी चर्चा की जाती है.
पटना की इस पांच संस्थाओं को सौंपी गई जिम्मेदारी
बिहार में सामाजिक प्रभाव आकलन का कार्य पटना स्थित पांच प्रमुख संस्थानों को सौंपा गया है. इनमें एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान, एलएन मिश्रा आर्थिक अध्ययन एवं सामाजिक परिवर्तन संस्थान, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, विकास प्रबंधन संस्थान, और आद्री (एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट) शामिल हैं. इन संस्थानों से न्यूनतम लागत वाले प्रस्ताव के आधार पर SIA का काम आवंटित किया जाता है.
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भू-अर्जन प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि भू-अर्जन प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना जरूरी है. उन्होंने 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक प्रभाव आकलन को इसमें विशेष महत्व दिया गया है. मंत्री ने जन-सुनवाई में अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी को लोगों की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने का जरिया बताया.