पोशाक योजना से स्कूल में बढ़ी छात्राओं की उपस्थिति, सामाजिक समरूपता का भी पैदा हुआ भाव

Nitish Kumar: अभिभावक पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन अपनी बच्चियों को स्कूल ड्रेस उपलब्ध नहीं करा पाते हैं, लिहाजा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको काफी गंभीरता से लिया और पोशाक के कारण किसी छात्रा की पढ़ाई न छूटे. इसको लेकर एक योजना की शुरुआत की जिसका नाम रखा मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना.

By Ashish Jha | January 18, 2025 1:29 PM
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Nitish Kumar: पटना. मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार वर्ष 2005 में जब सत्ता में आए तो बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु उन्होंने कई योजनाएं चलाईं, जिसमें मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना का एक अहम स्थान है. मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना की शुरुआत के पीछे कहानी कुछ यूं है कि एक सर्वे के दौरान पता चला कि सरकारी स्कूलों में बालिकाओं की उपस्थिति न के बराबर है. जब इसका कारण ढूंढा गया तो देखा गया कि आर्थिक मजबूरी की वजह से खासकर पोशाक की कमी के कारण छात्राएं स्कूल नहीं जाती हैं. अभिभावक पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन अपनी बच्चियों को स्कूल ड्रेस उपलब्ध नहीं करा पाते हैं, लिहाजा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको काफी गंभीरता से लिया और पोशाक के कारण किसी छात्रा की पढ़ाई न छूटे. इसको लेकर एक योजना की शुरुआत की जिसका नाम रखा मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना.

समय समय पर बढ़ाई गयी राशि

इस योजना के अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाली बालिकाओं को पोशाक हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. पहली एवं दूसरी कक्षा में पढ़नेवाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 600 रुपये, तीसरी से पांचवीं कक्षा में पढ़नेवाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 700 रुपये, छठी से आठवीं कक्षा में पढ़नेवाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 1000 रुपये एवं नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़नेवाली बालिकाओं को प्रति वर्ष 1500 रुपये दिए जाते हैं. इस योजना का नोडल विभाग महिला विकास निगम है. वर्ष 2018 में इस योजना की शुरुआत की गई. इस योजना का प्रमुख उद्देश्य राज्य की बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें समृद्ध बनाना है.

बाल विवाह और दहेज प्रथा पर लगी लगाम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर कहते हैं कि अगर बच्चियां पढ़ी-लिखी होंगी तो कई प्रकार की सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगेगा. बाल-विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों का खात्मा होगा. प्रजनन दर में गिरावट आएगी. एक सर्वे से पता चला है कि अगर बच्चियां पढ़ी-लिखी होंगी तो बिहार की प्रजनन दर में काफी गिरावट आएगी. अगर पति-पत्नी में पत्नी मैट्रिक पास है तो देश की प्रजनन दर 2 थी और बिहार की प्रजनन दर भी 2 थी. अगर पति-पत्नी में पत्नी इंटर पास है, तो देश की प्रजनन दर 1.7 थी और बिहार की प्रजनन दर 1.6 निकली. इससे स्पष्ट हुआ कि लड़कियां जब पढ़ेंगी तभी प्रजनन दर में भी गिरावट आएगी. पहले बिहार की प्रजनन दर 4.3 थी और जब से यहां पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था हुई, लड़कियां पढ़ने लगीं तो अब प्रजनन दर घटते-घटते 2.9 पर आ गई.

योजना में हुए कई बदलाव

समय-समय पर मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के अंतर्गत दी जानेवाली राशि में बढ़ोतरी की गई और कई अन्य प्रकार के बदलाव किए गए. अब सरकार ने यह तय किया है कि जीविका समूह और उद्यमिता विकास से संबद्ध क्लस्टर्स से ही स्कूली छात्राएं पोशाक की खरीद करेंगी. यह समूह राज्य में उत्पादित कपड़ों का उपयोग पोशाक सिलाई के लिए करते हैं. इस योजना के तहत पोशाक की राशि पहली से 12 वीं कक्षा की छात्राओं के खाते में भेज दी जाती है. उस राशि से छात्राएं सिले हुए दो पोशाक जीविका समूह अथवा उद्यमिता विकास से संबद्ध क्लस्टर्स से खरीदेंगे. इसके लिए शिक्षा, उद्योग, ग्रामीण विकास और वित्त विभाग ने मिलकर मार्गदर्शिका तैयार की और उसी के आधार पर छात्राएं पोशाक खरीद रही हैं. राज्य सरकार के इस फैसले से स्थानीय उत्पादक कंपनी के साथ-साथ जीविका से जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ रही है.

देश-दुनिया में हुई पोशाक योजना की चर्चा और प्रशंसा

आज मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना की चर्चा और प्रशंसा न सिर्फ बिहार में हो रही है, बल्कि देश के अन्य राज्यों ने भी इस योजना को अलग-अलग नाम देकर अपनाया है. देश के बाहर से भी जब कोई प्रतिनिधि बिहार आते हैं, तो इस योजना के बारे में जरूर पूछते हैं और योजना से संबंधित प्रारूप को समझने की कोशिश करते हैं. मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना ने बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के साथ ही उन्हें संबल और आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है. साथ ही इस योजना से स्कूल में छात्राओं की उपस्थिति भी बढ़ी है और सामाजिक समरूपता का भाव पैदा हुआ है.

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