मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में सोमवार को सेविका ने फरियाद की है कि उनका वेतन काफी समय से लंबित है. जिसके बाद समाज कल्याण विभाग ने भी इस समस्या के समाधान के लिए तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी है. विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि सेविका का वेतन काम के सत्यापन के बाद दे दिया जायेगा, इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है.
इस सप्ताह में जांच के बाद सभी सेविका का वेतन निर्गत कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि नियमानुसार किसी भी सेविका का वेतन उस वक्त तक निर्गत नहीं किया जा सकता है. जब तक उनके स्कूली सर्टिफिकेट की जांच नहीं कर ली जाये. लेकिन मामला यह भी है कि प्रमाण पत्र जांच को इतने दिनों तक लंबित नहीं रखा जा सकता है. अगर इतने दिनों तक जांच लंबित था तो सेविका को चयन मुक्त कर देना चाहिए था, लेकिन शिकायत ऐसा नहीं
जिन सेविका लंबित वेतन जो मामला जनता दरबार में आया था. उसमें वेतन लंबित होने का मुख्य कारण था. उनका प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं होना. ऐसे में नियम है कि बिना स्कूल के सर्टिफिकेट का संबंधित बोर्ड से सत्यापन नहीं हो जाये वेतन नहीं दिया जायेगा.
इस कारण से सर्टिफिकेट सत्यापन किया गया जरूरी- समाज कल्याण विभाग में पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि सेविका का सर्टिफिकेट ऐसे बोर्ड का रहता है, जिसका सत्यापन होने के बाद वह प्रमाण पत्र फर्जी मिलता है इस कारण से पूर्ण समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह के निर्देश पर कई सेविका पर कार्रवाई की गयी थी और उन्हें नौकरी से बाहर निकाला गया था.
राज्य भर में लगभग एक लाख 14 हजार सेविका है, जब 2020 के जनवरी में पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, जमुई, किशनगंज सहित अन्य जिलों में सेविका के प्रमाण पत्र की जांच करायी गयी, तो उसमें कई के पास नेपाल, केरल, ओडिशा के 150 से अधिक फर्जी प्रमाण पत्र मिले थे. जिसके बाद मंत्री ने निर्देश जारी किया था कि अगर कोई फर्जी आवेदक मिलता है, तो उसपर प्राथमिकी दर्ज कराएं.
Posted By: Avinish Kumar Mishra