नीतीश की यात्राएं-12 : युवाओं को देख नीतीश कुमार ने तोड़ा था सुरक्षा घेरा, सीधा संवाद में दिलाया ये भरोसा
Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. विकास यात्रा उनकी दूसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की 12वीं कड़ी..
Nitish Kumar Yatra: सीतामढ़ी के पुपरी से विकास यात्रा का दूसरा चरण आरंभ हुआ. पुपरी में जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो वहां की भीड़ देखने लायक थी. नौजवानों में गजब का उत्साह था. मुख्यमंत्री ने यहां सीधे नौजवानों से संवाद किया. सुरक्षा के सारे बैरियर को तोड़ मुख्यमंत्री युवाओं के बीच पहुंच गये. युवकों की टोली ने आवाज लगायी, सर, स्टेडियम कब बनेगा. कॉलेज नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा, सब होगा, सब बनेगा. अब लाठी में तेल पिलाने का नहीं कलम में स्याही भरने का समय है. सबको भरोसा दिलाया कि हम सबके लिए करेंगे. सरकार इस सभी प्रखंडों में स्टेडियम की योजना बना रही है. उस समय तमिलनाडु में बिहारी युवकों के साथ मारपीट की घटना हुई थी. युवाओं ने इसको लेकर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया. मुख्यमंत्री ने कहा, हमने कह दिया है डीजीपी और गृह विभाग के आयुक्त को. वहां फसे लड़कों को सुरक्षित बुलाया जा रहा है. भीड़ ने खूब तालियां बजायी.
बड़ी संख्या में स्कूल खोले जाने की उठी थी मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का एक बच्चा भी बिना स्कूल का नहीं रह पायेगा. इसके लिए हमको जो भी करना होगा, करेंगे और कर रहे हैं. इन सभाओं में बड़ी संख्या में स्कूल खोले जाने की मांग उठी थी. कई बच्चों ने स्कूल नहीं जाने की बात मुख्यमंत्री को बताया था. आने वाले दिनों में हजारों की संख्या में सरकारी स्कूलों को खोले जाने तथा वहां पढ़ाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. युवाओं से कहा, खूब पढ़ो. ऐसा बिहार बनाना है जिससे बिहारी कहलाना गर्व की बात हो. पुपरी सिनेमा हॉल मैदान में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के तीन साल पूरे होने पर वह विकास यात्रा पर निकले हैं.
सड़कें पहले की तुलना में थोड़ी बेहतर थी
लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने जिन-जिन योजनाओं की चर्चा की, पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. मंच पर एक अधिकारी तैनात थे. वह जिस इलाके की योजनाओं का नाम लेते, उस इलाके के मैदान में मौजूद लोग हाथ ऊपर उठा कर तालिया बजाते. यहां उन दिनों अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और सीतामढ़ी से ही आने वाले शाहिद अली खान भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री की सभा जब खत्म हुई तो घंटों भीड़ से सड़कें पटी रही. मुख्यमंत्री को पुपरी से मधुबनी पहुंचना था. उन्हें इस दूरी को तय करने में भी अधिक समय लगा. रास्ते में हर मोड़ और चौराहे पर लोगों की भीड़ जमी होती और मुख्यमंत्री जिंदाबाद का नारा लगता. इनमें बड़ी संख्या में महिलायें और बच्चे भी शामिल थे. पुपरी से मधुबनी का इलाका सीमावर्ती इलाका है. यहां की सड़कें पहले की तुलना में थोड़ी बेहतर हुई थी. अभी निर्माण कार्य जारी था.
Also Read : नीतीश की यात्राएं-4 : विकास का नीतीश मॉडल 2005 में ही था तैयार, ऐसे बना था सुशासन का फर्मूला