नीतीश की यात्राएं-21 : प्रवास यात्रा में रहा धरोहर पर फोकस, तैयार हुआ था पर्यटन नीति का खाका
Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. प्रवास यात्रा उनकी तीसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की 21वीं कड़ी..
Nitish Kumar Yatra: प्रवास यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सारण जिले के एकमा पहुंचे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने सारण और सीवान जिलों का दौरा किया. इन जिलों में तीन दिनों के प्रवास पर वे रहे. इस दौरान सारण जिले में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्म स्थली, सिताबदियारा का भ्रमण किया. प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल चिरांद का भ्रमण किया. सीवान जिले के सिसवन प्रखंड के मेंहदार ग्राम में आठ सौ साल पुराने बाबा महेंद्रनाथ शिवमंदिर और देशरत्न डा राजेंद्र्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई का भी भ्रमण किया. इसके साथ ही मौलाना मजहरूल हक की कर्मस्थली फरीदपुर की मिट्टी को नमन किया.
चिरांद में संग्रहालय बनाने की योजना
प्रवास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री सारण जिले के चिरांद पहुंचे थे. चिरांद में गंगा नदी के किनारे उन्होंने पुरातात्विक स्थलों का निरीक्षण किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी प्रसाद शोध जायसवाल संस्थान को भी चिरांद से संबंधित खुदाई को कहा गया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि चिरांद में भी एक अलग से संग्रहालय बनेगा. लोग यहां देखने आयेंगे, ठहरेंगे तो यहां की इकोनामी भी बदलेगी और अर्थतंत्र मजबूत होगा. लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा. चिरांद को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां प्राक एतिहासिक काल की चीजें मिली है. यहां हो रहे कटाव को रोकने की भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया.
केंद्र से बात करने का दिलाया भरोसा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग को इसकी जिम्मेवारी दी गयी है. हजारों साल पुराना यहां इतिहास छिपा है. सभी चरणों के दौरे और भ्रमण के बाद केंद्र सरकार से बिहार के इस धरोहरों को लेकर बात करेंगे. वैशाली गढ़ को लेकर भी बात की जायेगी. यहां छोटे इलाके में कभी खुदाई की गयी. बौद्धकालीन मूर्तियां मिली. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ बिहार का ही इतिहास नहीं छिपा है, देश का इतिहास छिपा है. यह कहिये कि मानवता का इतिहास यहां दफन है. राज्य के अंदर और भी जगहें हैं, तेलहाड़ा, इसमें शामिल है. राज्य पुरातत्व निदेशालय को भी कहा गया है. जब खुदाई होगी, छिपा हुआ इतिहास सामने आयेगा तो दूनिया भर के लोग वहां देखने आयेंगे.