नीतीश की यात्राएं-20 : प्रवास यात्रा ने दिलाया बिहारी होने की गौरव बोध, शांति स्तूप के पास बैठी थी कैबिनेट

Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. प्रवास यात्रा उनकी तीसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की 20वीं कड़ी..

By Ashish Jha | January 30, 2025 1:36 PM

Nitish Kumar Yatra: प्रवास यात्रा ने बिहार के गौरवपूर्ण इतिहास और समृद्ध संस्कृति को नयी पीढ़ी के लिए धरोहर के रूप में सुरखित रखने की मुख्यमंत्री की उतकट चाह को बिहार की जनता तक पहुंचाया. इस यात्रा ने बिहार वासियों में बिहारी होने की गौरव बोध किया. प्रवास यात्रा चार चरणों में संपन्न हुआ था. पहला चरण 25 दिसंबर, 2009 को राजगीर से आरंभ हुआ. प्रवास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री 25 दिसंबर से 31 दिसंबर, 2009 तक राजगीर में प्रवास किया था. सात दिनों में उन्होंने राजगीर और उसके आसपास के इलाकों में भ्रमण कर इतिहास और पुरातत्व से जुड़े स्थलों का भ्रमण किया. उसके विकास के लिए योजनाएं बनायीं.

शांति स्तूप के पास हुई थी कैबिनेट

प्रवास यात्रा के दौरान सकरी और पंचाने नदी पर पुल को लेकर कहा था कि अधिकारियों ने छह महीने में इसे बना देने की बात कही थी. यह पूरा भी हुआ. मुख्यमंत्री ने यहां सात दिनों तक प्रवास कर बुनकरों की बस्ती नेपुरा, तेलहारा प्रखंड में बालादित्य खंडहर के उत्खनन कार्य को देखा. घोड़ा कटोरा तथा गृद्धकूट पर्वत, वैभवगिरि पर्वत, सप्तपर्णी, स्वर्ण भंडार गुफा, जरासंध का अखाड़ा, प्राचीन नालंदा विवि खंडहर और नालंदा व गया जिले की सीमा पर अमझर के नक्सल प्रभावित बीहड़ जंगलों का भ्रमण किया. इसी क्रम में 29 दिसंबर, 2009 को रत्नागिरि पहाड़ पर संपूर्ण विश्व को शांति और मानवता का संदेश देने वाले विश्व शांति स्तूप के निकट राज्य कैबिनेट की बैठक हुई. सरकार के मंत्रियों के रत्नागिरी पहाड़ पर पहुंचने का दृश्य भी अदभुत था. सरकार ने इस कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये.

नक्सलग्रस्त इलाके में की जनसभा

दूसरे चरण की शुरूआत 15 जनवरी, 2010 को वैशाली से हुई. चार दिनों के इस प्रवास में मुख्यमंत्री ने वैशाली से कोल्हुआ,भगवान महावीर की जन्मस्थली बासोकुंड, वैशालीगढ़, विश्वशांति स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बुद्ध अस्थि अवशेष, बरैला झील, समेत अन्य ऐतिहासिक, पुरातात्विक और प्राकृतिक महत्व के स्थलों का निरीक्षण किया था. प्रवास यात्रा का तीसरा चरण 26 जनवरी,2010 को बोधगया से आरंभ हुआ इस दौरान मुख्यमंत्री ने महाबोधि मंदिर का दर्शन किया. ऐतिहासिक मूलचंद सरोवर, मेडिटेशन पार्क, सुजातागढ़ स्थित धर्मारण्य,डुंगेश्वरी पर्वत, कुर्कीहार, एवं विष्णुपद मंदिर का परिदर्शन किया. गया जिले के सुदूर नक्सल प्रभावित प्रखंड इमामगंज में जनसभा की. साथ ही दशरथ मांझी कौशल विकास योजना का शुभारंभ किया.

पुरात्ताविक जगहों को लेकर दिखायी जिज्ञासा

प्रवास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया जिले के सुजातगढ़ पहाड़ क्षेत्र के पूरे इलाके का मुआयना किया. पुरात्ताविक जगहों को देखा. हर कदम पर इतिहास छिपे होने की बात कही. बोधगया में धर्मायन का भ्रमण किया. वहां की हरियाली से मंत्रमुग्ध हुए और वेदी पर होने वाले श्राद्ध कार्य की जानकारी ली. फल्गू नदी पर पुल को लेकर अधिकारियों से विमर्श किया.विष्णुपद मंदिर में गये. उन्होंने कहा हम जानना चाहते थे कि यहां क्या है. वहां के पुजारियों ने बताया कि यहां भगवान विष्णु के पद चिन्ह हैं जो गयासुर नाम के राक्षस का संहार करने यहां आये थे. मुख्यमंत्री ने वहां पूजा अर्चना की. इसके पहले उन्होंने विष्णुपद मंदिर के निकट के कुंड को देखने गये. कुंड के साफ सफाई के आदेश दिया. कहा कि साल के 11 महीने इसे स्थानीय लोगों के नहाने के लायक बनाया जाये. मूर्ति विसर्जन से उन्होंने साफ मना किया. कहा कि उसके लिए अलग से जो जगह है, उसे थोड़ा और गहरा बना दिया जाये.

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