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नीतीश की यात्राएं-22 : प्रवास यात्रा में था धरोहरों पर फोकस, वैशाली को दिलाया था बुद्ध की अस्थि को लेकर ये भरोसा

Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. प्रवास यात्रा उनकी तीसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की 22वीं कड़ी..

Nitish Kumar Yatra: प्रवास यात्रा की अगली कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वैशाली पहुंचे. वैशाली में मुख्यमंत्री ने कहा था, बिहार की मिट्टी से जुड़े होने से राजनीति, धर्म-कर्म आदि का संगम स्थल है वैशाली. यहां भी पर्यटन के विकास की संभावनाएं जताते हुए कहा कि इस पर अभी तेजी से काम चल रहा है. वैशाली में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह वैशाली के साथ अन्याय कभी नहीं होने देंगे. वैशाली गढ़ का इतिहास है. यहां की जमीन का दूसरे चीजों के लिए उपयोग नहीं होने दिया जायेगा. हमारी इतिहास मिट्टी के अंदर दफन है. यह बाहर आयेगा तो कई परतें खुलेंगी.

वैशाली में रहेगी बुद्ध की अस्थि

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैशाली के इतिहास का हमलोगों को तो पता नहीं था. चीनी यात्री हवेनसांग ने अपनी यात्रा वृतांत लिखा जो चीन में रखा गया है, उसी से यहां के बारे में जानकारी मिली. यहां की धरोहर सिर्फ वैशाली का ही नहीं पूरी मानवता की धरोहर छिपी है. इसकी रक्षा करनी चाहिए. यह हमारी रिस्पांसबिलिटी है. नीतीश कुमार ने कहा कि भगवान बुद्ध की अस्थियां यहां रखी है. उनकी अस्थियों को 18 जगहों पर रखा गया. बुद्ध ने शांति और अहिंसा का संदेश दिया. हमको सबकी चिंता है. वैशाली की भी है. बुद्ध की अस्थि वैशाली में ही रखी जायेगी.

ऐतिहासिक पुरात्विक स्थलों का लिया जायजा

मुख्यमंत्री ने अपने अंदाज में कहा, हम देशभक्त हैं, भारत की चिंता है, तभी तो हम वैशाली आये हैं. दार्शनिक अंदाज में कहा, हो सकता है, मेरे लिये कुछ काम बाकी हो. हम तो कोई इतिहासकार नहीं हैं, साधारण कार्यकर्ता है. दरअसल, मुख्यमंत्री की प्रवास यात्रा का उद्देश्य ही यही था कि वह ऐतिहासिक पुरात्विक स्थलों पर जायेंगे और वहां प्रवास कर चीजों को बारीकियों से देखेंगे. जो भी समस्या सामने आयेंगी उसका निबटारा किया जायेगा. साथ ही पटना पहुंचने पर इसकी दीर्घकालीक उपाय का रास्ता निकाला जायेगा. मोजूदा बिहार में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया इसी प्रवास यात्रा का नतीजा माना जा सकता है.

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