नीतीश की यात्राएं-19 : शेखपुरा से मिली नदियों को जोड़ने की सोच, यहां तैयार हुआ कृषि रोड मैप का खाका
Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. विकास यात्रा उनकी दूसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की 19वीं कड़ी..
Nitish Kumar Yatra: विकास यात्रा की अगली कड़ी शेखपुरा जिले का बरबीघा था. श्रीबाबू की धरती पर पहुंचे नीतीश कुमार ने कहा, ‘हम उन्हीं के पद चिन्हों पर चल रहे हैं.’ यहां भी बड़ी संख्या में लोग मुख्यमंत्री को देखने और सुनने आये थे. यह बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की धरती थी. यहां मुख्यमंत्री ने बरबीघा को अनुमंडल बनाने, रेफरल अस्पताल को डेढ़ सौ बेड का और सदर अस्पताल को दो सौ बेड का करने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप मेहनत और सद्भाव से काम करें, विकास हम करेंगे. श्रीबाबू की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने बिहार के विकास की नींव रखी थी, हम उन्हीं के पद-चिन्हों पर चल कर विकास कार्यों को धरातल पर लाने का प्रयास कर रहे हैं.
मूलभूत सुविधाओं के प्रति नीतीश दिखे प्रतिबद्ध
लोगों के मन में विकास के प्रति उत्साह जगाना तथा गांव-गांव तक लोगों के बीच मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के लक्ष्य के प्रति वो कटिबद्ध हैं. यही विकास यात्रा का उद्देश्य है. महिलाओं को आरक्षण का लाभ, अपराध पर काबू, सूचना के अधिकार को प्रभावी ढंग से लागू करना, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, कृषि, सिंचाई आदि के विकास को फोकस कर वह ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जिसमें लोग बिहारी कहलाने में गर्व महसूस करें. ऐसा हो रहा और दिख भी रहा है. यहां तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भी सरकार की विकास योजनाओं का विस्तार से जिक्र किया.
शेखपुरा से मिली नदियों को जोड़ने की सोच
शेखपुरा में कहा, नदियों को आपस में जोड़े जाने की योजना यहीं से मिली. शेखपुरा, 20 फरवरी,2009. सुबह गुनगुनी धूप, फिर भी लोगों के चेहरे पर कोहरे व ठंड का असर साफ दिख रहा था. मुख्यमंत्री यहां पहुंचे तो पहले उनके लिए खूब जिंदाबाद के नारे लगे. मुख्यमंत्री ने उन्हें रोकते हुए कहा, बाढ़ यहां की बड़ी समस्या है. सिंचाई की पुरानी परंपरा रही है. आहर, पइन, अलंग और जमीन्दारी बांध से बाढ़ को पूर्व में पारंपरिक तरीके से रोका जाता था. सरकार ने अब इन सब बांधों की जिम्मेवारी सिंचाई विभाग को सौंप दी है. सरकार सचेत है.मुख्यमंत्री ने भविष्य में लिये जाने वाले निर्णयों का संकेत देते हुए साफ शब्दों में कहा कि किसी भी चीज का फल जब तक नहीं आ जाये, अधिकारपूर्वक कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा. सिंचाई का प्रबंध हो जाये तो मिट्टी उपजाऊ होगी और उत्पादन दोगुना होगा.
जब नीतीश कुमार ने की कृषि रोड मैप की चर्चा
कृषि रोड मैप की चर्चा करते हुए कहा कि हमने कृषि रोड मैप बनाया है. अच्छे किस्म के बीज की जरूरत है. समय पर पानी का प्रबंध करना है. बिहार की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करते हुए कहा कि यहां एक ओर बाढ़, तो दूसरी ओर कई इलाके सूखे की चपेट में हैं. इसका हल निकालने के लिए हमने केंद्र को प्रस्ताव दिया है कि राज्य के अंदर की नदियों को आपस में जोड़ दिया जाये. नदियां आपस में जुड़ेगी तो जहां अतिरिक्त पानी होगा. उसे सूखे वाले इलाके में ले जाया जा सकेगा. इससे पानी की बरबादी भी नहीं होगी और सूखाग्रस्त इलाकों को सिंचाई का पानी भी मिल सकेगा. इससे सारे खेतों को दोफसला में तब्दील किया जा सकेगा. अभी प्रदेश को जितने पानी की जरूरत है, वह नहीं है. दोफसला के लिए पानी की जरूरत होगी. मुख्यमंत्री की बातों को किसान और युवा बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे. सीएम जारी थे, आबादी बढ़ रही है.
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