Patna : एनएमसी ने पीएमसीएच को दी एक करोड़ के जुर्माने की चेतावनी
एनएमसी ने पीएमसीएच के शिक्षकों की हाजिरी 75% से कम पायी है. साथ ही पांच अन्य मुख्य कमियां पायी गयी हैं. इस पर एनएमसी ने एक करोड़ का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है.
आनंद तिवारी, पटना : पीएमसीएच के शिक्षकों की हाजिरी 75% से कम मिलने पर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने कॉलेज प्रशासन को फटकार लगायी है. एनएमसी ने मुख्य रूप से कॉलेज में छह तरह की कमियां पायी हैं. इसके मद्देनजर एनएमसी ने पीएमसीएच पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी भी जारी की है. एनएमसी ने एक जनवरी से 29 फरवरी तक कॉलेज में लगी एनेबल्ड बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम मशीन की जांच की, जिसमें 20 विभागों के शिक्षकों की हाजिरी तय मानक 75% से कम मिली है. क्लास रूम से गायब शिक्षकों और पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करते हुए एनएमसी ने 18 जून को अंतिम सबूत पेश करने को कहा है. एनएमसी के सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 18 जून को अंतिम सुनवाई करेंगे.
एमबीबीएस की 200 सीटों पर मंडराया खतरा
पीएमसीएच में वर्तमान में एमबीबीएस के लिए 200 सीटों पर दाखिला होता है. लेकिन इस बार शिक्षकों के क्लास से गायब रहने, माइनर सर्जरी नहीं होने सहित अन्य लापरवाही को देखते हुए एमबीबीएस की सीट पर खतरा मंडरा रहा है. जानकार बताते हैं कि अगर आज कॉलेज प्रशासन की ओर से एनएमसी को सबूत के साथ संतुष्ट नहीं किया गया, तो सीट बढ़ोतरी को मंजूरी नहीं मिल सकती है.18 जून को रखा जायेगा कॉलेज का पक्ष : प्राचार्य
पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ प्रो विद्यापति चौधरी ने कहा कि एनएमसी की ओर से जारी पत्र के बाद मैंने सभी विभागाध्यक्षों के साथ एक बैठक की. इसमें 75 प्रतिशत हाजिरी नहीं होने का कारण भी पूछा गया. इतना ही नहीं, जिन 20 विभागों के शिक्षकों की उपस्थिति कम है और अन्य छह बिंदुओं पर, जो एनएमसी ने कमी पायी है, उसको लेकर भी मैंने जिम्मेदार डॉक्टरों से जवाब मांगा है. 18 जून को एनएमसी की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कॉलेज का पक्ष रखा जायेगा.एनएमसी ने छह बिंदुओं पर लगायी फटकार
1. एक जनवरी से 29 फरवरी तक एइबीएएस की जांच में 20 विभागों के शिक्षक मिले गायब. 2. एनाटॉमी विभाग में छात्रों को पढ़ने के लिए बॉडी की संख्या कम होने के साथ ही बॉडी का पूरा विवरण एनएमसी को नहीं दिया गया.3. सर्जरी विभाग में माइनर सर्जरी नहीं होती, इसका पूरा विवरण डिपार्टमेंट से नहीं मिला.
4. टिश्यू निकाल कर होने वाली साइटोपैथोलॉजी की नहीं होती जांच.5. संकाय की ओर से दिये गये घोषणा प्रपत्र की समीक्षा और सुधार की कमी. 6. परिवार को गोद लेने वाले प्रोग्राम में सुधार की जरूरत.
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