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बिहार के ग्रामीण बैंकों का नहीं होगा निजीकरण, जानें क्या है आइपीओ लाने के लिए निर्धारित पैरामीटर

सरकार ने इसे लेकर दिशा निर्देशों का एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि ग्रामीण बैंक की नेट वर्थ पिछले तीन सालों में कम से कम तीन सौ करोड़ होनी चाहिए. फिलहाल बिहार के दोनों ग्रामीण बैंक, उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक इस दायरे में से बाहर हैं.

कैलाशपति मिश्र, पटना. केंद्र सरकार ने देश के ग्रामीण बैंकों से अपनी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की है. इसके लिए आइपीओ लाने की तैयारी है. सरकार ने इसे लेकर दिशा निर्देशों का एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि जिस किसी भी ग्रामीण बैंक की नेट वर्थपिछले तीन सालों में कम से कम तीन सौ करोड़ होनी चाहिए. वहीं, पिछले पांच सालों से बैंक सालान 15 करोड. का ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमाया है. फिलहाल बिहार के दोनों ग्रामीण बैंक, उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक इस दायरे में से बाहर हैं. राज्य के दोनों ग्रामीण बैंक का ऑपरेटिंग प्रॉफिज निर्धारित मानक से कम है.

क्या है आइपीओ लाने के लिए निर्धारित पैरामीटर

ग्रामीण बैंक का विगत तीन सालों में कैपिटल एडिक्वेसी हर साल नौ फीसदी होनी चाहिए.वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के ड्राफ्ट के मुताबिक, ऐसे क्षेत्रीय बैंक जिन्होंने पिछले पांच सालों के परिचालन में कम से कम तीन साल 15 करोड़ का ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमाया है, उन्हीं बैंकों को आईपीओ लाने की अनुमति दी जाएगी. इसके साथ ही कहा गया है कि पांच में से तीन सालों में बैंक का रिटर्न ऑन इक्विटी 10 फीसदी होना चाहिए. सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रियागत शर्तों को तत्काल तीन ग्रामीण बैंक पुरा कर रहे हैं, जिसमें यूपी के दो और कर्नाटक के एक ग्रामीण बैंक शामिल हैं.

बिहार में ग्रामीण बैंक की स्थिति

बिहार में दोनों ग्रामीण बैंक की कुल कुल 2110शाखाएं हैं. जिसमें यूबीजीबी के103और एसबीजीबी के1078शाखाएं है. दोनों बैंकों का साख जमा अनुपात करीब 60फीसदी है. दोनों आरआरबी ने 39632 करोड़ जमा की तुलना में आरआरबी ने21126 करोड़ ऋण दिया है. जहां तक दोनों आरआरबी के मार्केट शेयर की बात है तो यह9.65फीसदी है. उल्लेखनीय है कि बिहार में सर्वाधिक मार्केट शेयर एसबीआइ का है. एसबीजीबी और यूबीजीबी में बिहार के लोगों का 33.42 लाख खाते हैं. जबकि बैंक ने सात लाख केसीसीधारक को6726 करोड़ ऋण दिए हैं.

ग्रामीण बैंकों में हिस्सेदारी

मौजूदा समय में केंद्र सरकार के पास क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में 50 फीसदी हिस्सेदारी है. जबकि 35 फीसदी स्पॉन्सर बैंक के पास और 15 फीसदी राज्य सरकार के पास है. देश में फिलहाल 43 से ज्यादा क्षेत्रीय बैंक कार्यरत है, जिन्हें 12 पब्लिक सेक्टर बैंकों की ओर से स्पॉन्सर किया जाता है. इनकी देश के 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 21,856 ब्रांच हैं.

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