सांसद बनने के बाद कोई संपत्ति नहीं खरीदी: हरिवंश
पटना : राज्यसभा के जदयू उम्मीदवार हरिवंश ने 2014 में सांसद बनने के बाद कोई संपत्ति नहीं खरीदी. आम तौर पर वे ज्वेलरी और हथियारों के शौकीन नहीं हैं. उनकी आमदनी का जरिया एकमात्र सांसद के तौर पर मिलने वाला वेतन की रकम और चार दशकों की नाैकरी से मिले पैसे के निवेश से आमदनी […]
पटना : राज्यसभा के जदयू उम्मीदवार हरिवंश ने 2014 में सांसद बनने के बाद कोई संपत्ति नहीं खरीदी. आम तौर पर वे ज्वेलरी और हथियारों के शौकीन नहीं हैं. उनकी आमदनी का जरिया एकमात्र सांसद के तौर पर मिलने वाला वेतन की रकम और चार दशकों की नाैकरी से मिले पैसे के निवेश से आमदनी ही है. शपथपत्र के मुताबिक उन पर करीब पांच लाख रुपये का बैंक लोन है.शपथपत्र में उन्हाेंने बताया कि जिस संस्थान में वह कार्य करते थे, उस कंपनी ने उनके साथ तीन वरिष्ठ लोगों को कुछ शेयर दिया था, जिसका भुगतान सांसद बनने के बाद मिला. यही जीवन की मुख्य आर्थिक कमाई है.
चार दशकों तक अलग-अलग संस्थानों में कार्य करने के बाद पीएफ और जीएफ का एकमुश्त भुगतान भी 2014 के बाद मिला. निजी तौर पर उनके खिलाफ कोइ विवाद या मुकदमा नहीं है, जो भी मामले हैं, वह अंग्रेजों के समय के कानून के चलते, जिसमें किसी खबर के छपने पर प्रिंटर, पब्लिशर और एडिटर पर एक साथ मुकदमें होते हैं, प्रधान संपादक के तौर पर कार्यरत होने के दौरान खबरों के छपने से मानहानि से जुड़े मामले हैं.
पैतृक संपत्ति का बाजार मूल्य अधिक होने से उसमें बढ़ाेतरी दिखती है. उनके पास संयुक्त परिवार की पैतृक संपत्ति है. जमीन की कीमत करोड़ों में है, लेकिन कुछ जमीन गंगा में रहने के कारण उसे निकलने के आसार कम हैं. उन्होंने कुछ जमीन और फ्लैट 2014 से काफी पहले बहुत कम कीमत पर खरीदी थी, लेकिन इस समय सरकारी मूल्य बहुत अधिक है. 2014 के पहले खरीदी गयी फ्लैट या जमीन की कीमत भी बढ़ गयी है, जिसके कारण उसमें इजाफा होता दिख रहा है.
अपने शपथपत्र में उन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी विस्तार से दी है. बीएचयू से स्नातक, पीजी और पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद वे जेपी आंदोलन के दौर से राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े. बाद में पत्रकारिता की शुरुआत धर्मयुग से 1977 में की. आरबीआइ में अधिकारी के रूप में चयन होने के बाद उसे छोड़कर पत्रकारिता में लौटे. यहां रविवार पत्रिका से जुड़े. प्रभात खबर में बतौर प्रधान संपादक रहे. प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) रहे. 2014 में जदयू से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए. नौ अगस्त, 2018 को राज्यसभा के उपसभापति के लिए निर्वाचित हुए.
हरिवंश के पास चल संपत्ति करीब 14 करोड़ 93 लाख 13 हजार 708 रुपये की है. वहीं, स्वयं से खरीदी हुई अचल संपत्ति का बाजार मूल्य 74 लाख 45 हजार 800 रुपये है. पैतृक अचल संपत्ति करीब 91 लाख 96 हजार 500 रुपये कीमत की है. हलफनामा के अनुसार 21 क्रिमिनल केस लंबित हैं. रांची में 1822 वर्ग फीट का एक फ्लैट है. बलिया में उनके पास कृषि भूमि है. उनके पास पूर्व की कंपनी द्वारा दी गयी महिंद्रा एक्सयूवी और रेनॉल्ट डस्टर गाड़ी हैं.
पांच लाख 26 हजार 840 रुपये नकद है. उनकी पत्नी आशा सिंह के पास करीब 66 हजार 260 रुपये नकद है. वहीं उनके संयुक्त परिवार में नकद छह लाख 74 हजार 710 रुपये हैं.