राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं : मनोज मुंतशिर
वनबंधु परिषद की तरफ से बापू सभागार में आयोजित देशभक्ति कार्यक्रम ‘एकल की एक शाम देश के नाम’ में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात फिल्म गीतकार और वक्ता मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा कि राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है
लाइफ रिपोर्टर @ पटना
वनबंधु परिषद की तरफ से बापू सभागार में आयोजित देशभक्ति कार्यक्रम ‘एकल की एक शाम देश के नाम’ में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात फिल्म गीतकार और वक्ता मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा कि राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है. उन्होंने कविता के जरिये कहा कि हम भारतीयों ने हसंते-हसंते हुए बहुत कुछ खोया, इस सूरज में हमने जुगनु-जुगनु बोया. मौके पर उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां लोग अपने देश को मां कहते हैं.ऐ मेरे वतन के लोगों… से किया मुग्ध :
कार्यक्रम में पूर्व सारेगामा व इंडियन आइडल विजेता इशिता विश्वकर्मा ने अपने गीतों से सभागार में उपस्थित दर्शकों को मुग्ध कर दिया. इशिता ने ऐ मेरे वतन के लोगों, राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम, माटी को मां कहते हैं, देश रंगीला, मन जोगिया, सुनो गौर से दुनिया वालों चाहे जितना जोर लगा लो…जब गाया तब दर्शकों ने तालियों से भरपूर स्वागत किया.राज्यपाल ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन :
कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा व नगर विकास आवास मंत्री नितिन नवीन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.वनबंधु परिषद ने आदिवासी व वंचित बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का किया है काम : राज्यपाल
इस अवसर पर राज्यपाल ने वनबंधु द्वारा संचालित किये जा रहे एकल विद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि वनबंधु परिषद अपने एकल विद्यालय के माध्यम से आदिवासी व वंचित बच्चों को शिक्षा पहुंचाने का कार्य कर रहा है. राज्यपाल ने एकल को सहयोग देने वाले विजय किशोर कुरिया, रमेश गुप्ता, राधे श्याम बंसल आदि को सम्मानित किया. साथ ही उन्होंने कहा कि एकल विद्यालय छात्रों में शिक्षा के साथ-साथ हमारे संस्कारों का ज्ञान भी देती है. विकसित भारत का सपना सिर्फ आर्थिक रूप से संपन्न होना ही नहीं, बल्कि हम संस्कारित हो व जन-जन में देश प्रेम की भावना होनी चाहिए.दूर-दराज गांवों के आदिवासी व वंचित बच्चों का उत्थान मुख्य उद्देश्य :
अतिथियों का स्वागत वनबंधु के अध्यक्ष विजय किशोरपुरिया, कार्याध्यक्ष रमेश गुप्ता, सचिव सुजीत सिंघानिया, संरक्षक राधेश्याम बंसल, सुनील अग्रवाल व गोपाल मोदी ने गोबर से बने भारत के नक्शे का प्रतीक चिह्न से किया. अध्यक्ष ने बताया कि विवेकानंद की प्रेरणा से वनबंधु परिषद की तरफ से एकल विद्यालय अभियान भारत में 1986 में प्रारंभ किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य सुदूर गांव के आदिवासी व वंचित बच्चों का उत्थान करना है. वनबंधु परिषद की तरफ से एक लाख से अधिक एकल विद्यालय संचालित किये जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है