112 साल पुरानी मशीनों को बदलकर लगायी जा रही हैं आधुनिक डिजिटल प्रिंटिंग मशीनें
आने वाले दिनों में राज्य सरकार के सभी गोपनीय और जरूरी दस्तावेजों की छपाई सरकारी प्रिंटिंग प्रेस गुलजारबाग और गया में होगी. इसके लिए तैयारी चल रही है.112 साल पुरानी मशीनों को बदलकर आधुनिक डिजिटल तकनीक पर आधारित नयी प्रिंटिंग मशीनें लगायी जा रही हैं.इस प्रेस में सरकारी दस्तावेजों की कंपोजिंग से लेकर प्रिंटिंग तक होगी.नयी मशीनें लगने के बाद प्रिंटिंग के लिए अब दूसरे राज्यों में निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. गुलजारबाग प्रेस में सरकार के महत्वपूर्ण दस्तावेज के अलावा गजट और जमीन के नक्शों का प्रकाशन होता है.जमीन के नक्शे के प्रकाशन के लिए केवल यही प्रेस अधिकृत है.पहले इस प्रेस में निर्वाचन,बिहार लोकसेवा आयोग ,उच्च न्यायालय और अन्य सभी विभागों की प्रिंटिंग संबंधी कार्य किये जाते थे. नयी तकनीक के आधार पर प्रिंटिंग की शुरुआत वित्त विभाग के कंपेडियम की छपाई से हुई है.
1912 में शिलांग से आयी थी गुलजारबाग प्रेस के लिए मशीनेंबंगाल से बिहार के अगल होने के बाद 1912 में गुलजारबाग प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की गयी थी. इसके लिए मशीनें शिलांग से मंगवायी गयी थीं. पुरानी तकनीक पर आधारित प्रिंटिंग मशीनें अब आउटडेटेड हो गयी हैं.अनुपयोगी मशीनों को स्क्रैप के रूप में नीलाम कर दिया गया है.नीलामी के लिए भारत सरकार के उपक्रम एमसीटीसी को दिया गया था.
इस प्रेस में बजट की छपाई वित्तीय वर्ष 2025-26 के बाद हीराज्य सरकार पिछले 24 वर्षों से सरस्वती प्रेस में बजट पुस्तिका की छपाई करवा रही है. अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 बजट पुस्तिका की छपाई के लिए सरस्वती प्रेस से समझौता किया जा चुका है. बाहर से बजट पुस्तिका छपवाने के लिए सरकार को प्रति पुस्तिका जीएसटी सहित 2515 रुपये देना पड़ता है. इसको लेकर सरकार का तर्क है कि इस प्रेस की कार्यशैली, मुद्रण की गुणवत्ता और सामग्री की गोपनीयता आदि अच्छी है.
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