संवाददाता, पटना: हिदी पट्टी में परिस्थितियां बदली है. समृद्धि आ रही है. लोग खुश हैं और देश विदेश की यात्राएं कर रहे हैं. यात्रा वृतांत लिखे जा रहे हैं. लेखक अशोक कुमार सिन्हा की पुस्तक देश-परदेश का जगजीवन राम संसदीय अध्ययन संस्थान के सभागार में विमोचन करते हुए विधान परिषद के वरिष्ठ सदस्य एवं साहित्यकार डॉ रामबचन राय ने ये उद्गार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि ‘देश परदेश’ बहुत ही रोचक पुस्तक है. यात्रा वृत्तांत बहुत कम लिखा गया है. लोग तीर्थाटन करते थे, लेकिन यात्रा लेखन नहीं करते थे. एक तो अर्थाभाव, दूसरा प्रबुद्धता की कमी इसके पीछे प्रमुख कारण रही. उन्होंने कहा कि बंगला समाज में सैर सपाटों की प्रवृत्ति रही है. दक्षिण में भी, महाराष्ट्र में भी रही. लोग यात्रा के लिए पैसे बचाते हैं. वे यात्रा करते हैं और यात्रा के संस्मरण को कलमबद्ध भी करते हैं. हिंदी पट्टी में ऐसा कम देखने को मिलता है, लेकिन अशोक कुमार सिन्हा ने इस मिथक को तोड़ा है. देश के दूसरे भाग के लोग हिंदी पट्टी के लोगों को हिकारत की नजर से देखते रहे हैं. पर, अब परिस्थितियां बदली है. इस मौके पर कवि आलोक धन्वा, डा शिवनारायण, ममता मेहरोत्रा, डाॅ कासिम खुर्शीद, भैरव लाल दास, मुसाफिर बैठा और संस्थान के निदेशक नरेंद्र पाठक ने विचार व्यक्त किये. मुसाफिर बैठा ने पुस्तक के बारे में कहा कि यह लगभग पौने दो सौ पृष्ठों की किताब चौदह अध्याय में विभक्त है. चार वृत्तांत विदेश से हैं और दस देश से. विदेशों में मैक्सिको, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मॉरीशस का सांस्कृतिक सामाजिक वर्णन है.
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