बिहार में इस बार मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे जनता के ही वोटों से होगा. नगर निकाय चुनाव को लेकर अभी सबसे बड़ा संशय आरक्षण से जुड़ा मुद्दा है. अभी तक इसे लेकर कोई ठोस जानकारी बाहर नहीं आ सकी. इसकी तैयारी भी अभी ठंडे बस्ते में ही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने अब लगभग यह तय दिया है कि बगैर ओबीसी आरक्षण के ही नगर निकाय चुनाव की संभावना है.
बिहार में निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल जून में समाप्त हो रहा है. राज्य निर्वाचन आयोग को आरक्षण के मुद्दे पर स्टैंड क्लियर करना है. लेकिन अब बचे हुए समय में इसे लेकर कोई नयी तैयारी असंभव ही लग रही है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही एक आदेश दिया है जिसमें बगैर ट्रिपल टेस्ट के किसी भी राज्य को ओबीसी आरक्षण देने से रोका गया है. मध्य प्रदेश से जुड़े एक मुद्दे पर ये आदेश दिया गया जिसका असर बिहार के नगर निकाय चुनाव पर भी पड़ा है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में अब पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को बगैर आरक्षण दिये ही चुनाव कराया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य निर्वाचन आयोग अब बगैर ओबीसी आरक्षण के ही चुनाव कराने की तैयारी में है. केवल महिलाओं और एससी-एसटी को ही जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिलने की संभावना है. हालांकि अभी इसे लेकर कुछ भी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है.
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बिहार में निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल जून महीने में समाप्त होने जा रहा है. अब इतने कम समय के बीच चुनाव आयोग के पास फिलहाल कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट कराने की बात कही है जिसके बाद ही ओबीसी आरक्षण संभव है. इसके लिए सरकार को बचे हुए समय में ही विशेष आयोग का गठन करना होगा. ताकि पिछड़े और अति पिछड़ों के लिए ट्रिपल टेस्ट करा सके. इतने कम समय में इसकी संभावना बेहद कम है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan