संवाददाता,पटना : बिहार सरकार व बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की ओर से हर साल फरवरी में एशियन वाटरबर्ड सेंसस किया जाता है. बुधवार को आठ सदस्यीय टीम ने राजधानी जलाशय में पक्षियों की गणना की. इसमें 10 प्रजातियों के सिर्फ 137 पक्षी पाये गये. इनमें गैडवॉल, गार्गेनी, इंटरमीडिएट इग्रेट, कॉर्मोरेंट, ब्रॉन्ज्ड विंग्ड जकाना, कॉमन सैंडपाइपर, लीलटल ग्रीव, लेसर विस्लिंग टील, कॉमन कुट और कॉमन मूरहेन हैं. टीम में डॉ गोपाल शर्मा, नवीन कुमार, कर्नल अमित सिन्हा, प्रो शाहला यास्मिन, मो शाहबाज, प्रो संगीता सिन्हा, आसिफ शील और मृत्युंजय मानी थे.
जलाशय में पानी और भोजन की कमी का असर
डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल प्रवासी पक्षियों की संख्या आधी से भी कम है. जहां पहले 2000 से लेकर 3500 पक्षी रहते थे, वहीं आज 137 पक्षी ही हैं. इसके दो मूल कारण है. पहला जलाशय में मौजूद जल स्तर कम होना और दूसरा पक्षियों को मिलने वाले भोजन का मात्रा पर्याप्त न होना है. उन्होंने आगे बताया कि पार्क प्रमंडल की ओर से जलाशय में पानी का स्तर बनाये रखने के लिए मोटर चलाये जाते हैं. बावजूद इसके जल स्तर काफी कम है, जो प्रवासी पक्षियों के निवास करने में सहायक नहीं रहा.पक्षी विशेषज्ञों ने सुधार के लिए दिये थे सुझाव
डॉ शाहला यास्मिन ने बताया कि इस बार पक्षियों की संख्या बहुत कम है. सितंबर में जब वह आयी थीं, तभी इनकी संख्या मुश्किल से हजार रही होगी. गणना करने आये सदस्यों की ओर से जलाशय के मैनेजमेंट को लेकर पार्क प्रमंडल पटना को सुझाव भी दिये गये थे. पक्षियों के नहीं आने की दो वजहें हैं. पहला पूरे जलाशय में वेजिटेशन ग्रोथ हो गया है. घास की वजह से ओपन वाटर एरिया भी नहीं है, जहां पक्षी रह सकें. इसके साथ ही जल स्तर में भी कमी है. पक्षियों को नैसर्गिक हैबिटैट नहीं मिलने और भाेजन की कमी होने से उनकी संख्या कम हो रह्री है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है