-केंद्रीय बजट में बिहार को 59 हजार करोड़ के आवंटन में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कार्यवाही के दौरान पीएम और सीएम के प्रति व्यक्त किया आभार संवाददाता, पटना बुधवार को विधान परिषद की पहली पारी में राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था के मसले पर विपक्ष की तरफ से लाये गये कार्य स्थगन प्रस्ताव को सभापति ने अमान्य कर दिया. उन्होंने यह निर्णय निश्चित नियमावली का हवाला देते हुए लिया. विपक्ष की तरफ से वरिष्ठ विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह कार्य स्थगन प्रस्ताव लेकर आये थे. उन्होंने कहा कि राज्य में अराजक स्थिति बनी हुई है. लिहाजा इस पर सदन में चर्चा करायी जानी चाहिए. दूसरी तरफ, हालिया केंद्रीय बजट में बिहार को 59 हजार करोड़ के किये गये आवंटन को लेकर केंद्र की सराहना की गयी. इस दौरान सत्ता पक्ष के विधान पार्षदों ने अपनी जगह खड़े होकर ””””””””””””””””बिहार के विकास के लिए पीएम और सीएम”””””””””””””””” को आभार वाली तख्तियां उठा रखीं थीं.इस दौरान वे पीएम और सीएम के समर्थन में नारे लगा रहे थे. इसके प्रति-उत्तर में विपक्ष के विधान पार्षदों ने नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी के नेतृत्व में अपनी जगह खड़े होकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करनी शुरू कर दी. हालांकि यह पूरा एपिसोड करीब पांच से 10 मिनट ही चला. बाद में सभापति ने दोनों पक्षों को अपनी-अपनी जगह बैठने के लिए कहा. ——— विधान पार्षदों ने बिहार निवास/ बिहार सदन के शुल्क में पक्षपात के खिलाफ आवाज की बुलंद: विधान परिषद में डॉ संजीव कुमार सिंह, प्रो संजय कुमार सिंह और डॉ समीर कुमार सिंह के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये नयी दिल्ली स्थित बिहार निवास/ बिहार सदन में ठहरने के शुल्क को लेकर विशेष आपत्तियां जतायी. कहा कि इसमें अपेक्षित सुधार करते हुए उसके शुल्क में कमी की जाये. उनके इस सवाल पर सभी विधान पार्षद एकजुट दिखे. सभापति ने भी मंत्री से कहा कि इस मामले में सदस्यों की भावनाओं के अनुरूप जरूरी वक्तव्य दें. इस पर संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि अभी इस मामले में किसी पुनर्विचार की बात नहीं है. हालांकि समय आने पर इस पर विचार किया जायेगा. हालांकि सदस्य चाहते थे कि वह कोई ठोस वक्तव्य दें. उल्लेखनीय है कि दिल्ली स्थित बिहार निवास/ बिहार सदन में ठहरने के लिए बिहार विधान मंडल के सदस्यों ,लोकसभा और राज्य सभा सदस्यों को प्रतिदिन का 500 रुपये लिये जाने का प्रावधान है. वहीं बिहार बिहार विधान मंडल के पूर्व सदस्यों एवं पूर्व सांसदों को ठहरने के लिए एक दिन का एक हजार रुपये देना पड़ता है. यह व्यवहारिक नजरिये से उचित नहीं है. कायदे में इस शुल्क को काफी कम 250 रुपये किया जाना चाहिए.
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