World Kidney Cancer Day: पटना सहित पूरे बिहार में हर साल कई प्रकार के कैंसर के कारण हजारों लोगों की मौत हो जाती है. इस्ट अंकोलॉजी ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार खासकर शहर के आइजीआइमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, पटना एम्स, बुद्धा कैंसर सेंटर और महावीर कैंसर अस्पताल में फेफड़े, पेट और स्तन कैंसर के मामले सबसे ज्यादा आते हैं. पर, अब किडनी के कैंसर के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. संबंधित अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार किडनी कैंसर के कुल 30 % मरीजों की उम्र 50 साल से नीचे होती है.
हर साल किडनी कैंसर के 750 मरीज पहुंच रहे अस्पताल
पटना जिले में हर साल लगभग 750 मरीज किडनी कैंसर के मिल रहे हैं, जिसमें पुरुषों की संख्या 80 फीसदी है. डॉक्टरों के अनुसार यह बीमारी दर्द की दवाओं का अधिक सेवन के अलावा सिगरेट व तंबाकू के सेवन से हो रही है. किडनी में कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को डेढ़ गुना ज्यादा होने की आशंका रहती है.
डॉक्टरों की मानें, तो 70 प्रतिशत 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को किडनी कैंसर की चपेट में आने की आशंका होती है. हालांकि खानपान और रहन-सहन में बदलाव के कारण इस बीमारी की चपेट में युवा भी आ रहे है. किडनी कैंसर बहुत खतरनाक माना जाता है. सही समय पर इनके लक्षणों की पहचान कर बीमारी से बचा जा सकता है.
पीएमसीएच, एनएमसीएच में इलाज की सुविधा नहीं
किडनी में कैंसर की सर्जरी व इम्यूनोथेरेपी से इलाज की सुविधा शहर के पीएमसीएच और एनएमसीएच में नहीं है. इन अस्पतालों में आने वाले ऐसे मरीज को आइजीआइएमएस, पटना एम्स व अन्य दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है. वर्तमान में पटना एम्स, आइजीआइएमएस, महावीर कैंसर संस्थान, बुद्धा कैंसर सेंटर व अन्य सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में इलाज किया जाता है.
- केस 1 : पटना के न्यू अजीमाबाद कॉलोनी के रहने वाले 58 वर्षीय सैयद तनवीरूल हक किडनी के कैंसर से पीड़ित थे. संदेह होने पर परिजन उन्हें बुद्धा कैंसर सेंटर लेकर पहुंचे. जहां जांच के बाद किडनी के कैंसर बीमारी की पुष्टि हुई. मरीज का इलाज कर रहे डॉ अरविंद ने बताया कि पीड़ित के शरीर का वजन कम होने के साथ बुखार न उतरने, थकान, सूजन सहित अन्य लक्षण दिखे. पर इलाज के बाद मरीज अभी ठीक है.
- केस 2 : किडनी के कैंसर से पीड़ित पटना जिले के ग्रामीण इलाके के रहने वाले 55 वर्षीय राजेंद्र राय का इलाज चल रहा है. कैंसर केयर एंड क्योर पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की मदद से परिजन इलाज करा रहे हैं. किडनी के कैंसर की पुष्टि होने के बाद परिजन चिंतित हैं. परिजनों ने बताया कि इलाज के बाद स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का इलाज संभव है.
पीड़ितों को इससे मिलती है राहत
- सर्जरी व कीमोथेरेपी: शुरुआत स्टेज में सर्जरी के बाद सेंकाई और कीमोथेरेपी से मरीज को काफी राहत मिलती है.
- डायलिसिस: जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती तो डायलिसिस के जरिए शरीर से वेस्ट मटेरियल और एक्स्ट्रा फ्लूड बाहर निकाला जाता है. यह दो तरह का होता है.
- हीमोडायलिसिस: इसे डायलिसिस का सबसे आसान रूप माना जाता है. इसमें डायलिसिस मशीन और डायलाइजर (स्पेशल फिल्टर) का उपयोग करके मरीज के ब्लड को पूरी तरह से साफ किया जाता है.
- पेरिटोनियल डायलिसिस: पेरिटोनियल डायलिसिस में डॉक्टर मरीज के पेट के निचले हिस्से से एक नली (कैथेटर) डालते हैं जो किडनी तक पहुंचती है, इससे ब्लड को साफ किया जाता है.
- किडनी ट्रांसप्लांट: इस प्रोसेस में किसी स्वस्थ किडनी डोनर की किडनी को मरीज के अंदर ट्रांसप्लांट किया जाता है.
सर्जरी और इम्यूनोथेरेपी है कारगर
- किडनी में कैंसर का इलाज सर्जरी या फिर इम्यूनोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है. इम्यूनोथेरेपी तकनीक से ड्रग्स दी जाती है. ये दवाएं यूएसए या यूरोप की होती है. वहीं कैंसर के एडवांस स्टेज में आने पर सर्जरी करना संभव नहीं होता. इम्यूनोथेरेपी से ही इलाज किया जाता है. – डॉ अरविंद कुमार, बुद्धा कैंसर सेंटर.
- किडनी कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसमें सभी वर्गों के लोग शामिल हैं. कैंसर किडनी को सामान्य रूप से काम करने से रोक सकता है. किडनी का कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. जब कैंसर फैलता है, तो इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है. -डॉ कुमार राजेश रंजन, यूरोलॉजिस्ट
किडनी कैंसर के लक्षण
पेशाब में खून आना, साइड या पेट में एक गांठ का होना व दर्द रहना, भूख में कमी, वजन में अज्ञात कारणों से कमी आना, लंबे समय तक बुखार रहना, अधिक थकान और एनीमिया