पटना: कोरोना के कारण लंबे समय तक राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल में पंचकर्म चिकित्सा बंद थी. अब इसे दुबारा शुरू कर दिया गया है. यह पूरी तरह से नि:शुल्क सुविधा है. इसके लिए मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा. आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल यहां भर्ती मरीजों को नि:शुल्क रहने और खाने की सुविधा भी दे रहा है. अस्पताल में उपलब्ध दवाएं भी मरीजों को दी जायेंगी.
कोरोना काल में यहां होने वाले पंचकर्म में भी कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं. यहां अब पंचकर्म चिकित्सा के दौरान सोशल डिस्टैंसिंग का ख्याल रखा जायेगा. पंचकर्म वार्ड में दो मरीजों के बीच एक बेड खाली रहेगा, ताकि दोनों में दूरी बनी रहे. यहां भर्ती मरीजों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा.
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल में पंचकर्म चिकित्सा का विकास किया गया है. यहां डॉक्टरों की संख्या अब पहले से अधिक हो गयी है. अस्पताल को पंचकर्म के लिए सात नये डॉक्टर मिले हैं. इन सभी ने पिछले दिनों अस्पताल में अपना योगदान भी दे दिया है. इनमें से एक डॉक्टर केरल से और दूसरे कर्नाटक से पंचकर्म की उच्च शिक्षा और ट्रेनिंग लेकर आये हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बिहार के मरीजों को अब पहले से बेहतर पंचकर्म चिकित्सा मिल सकेगी.
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि कोरोना काल में बंद रहने के बाद दुबारा से हमारे यहां पंचकर्म चिकित्सा अारंभ हो गयी है. अब कोई भी मरीज यहां आकर इसका लाभ उठा सकता है. उन्होंने बताया कि लकवा, गठिया, साइटिका, जोड़ों के दर्द आदि न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के मरीजों में पंचकर्म काफी लाभदायक साबित होता है.
पंचकर्म चिकित्सा करवाने के लिए अस्पताल में 15 दिन से लेकर 3 माह तक भर्ती होना पड़ता है. अस्पताल के ओपीडी में कमरा नंबर 11 या 9 में इसके लिए पहले डॉक्टर से दिखाना होगा. यहां से डॉक्टर द्वारा पर्ची पर लिखने के बाद पंचकर्म करवाया जा सकता है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya