सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही अनुसूचित जाति(SC) को मिलने वाले आरक्षण में भी कोटे को मंजूरी दे दी है. चीफ जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने बहुमत से इसपर फैसला दिया और कहा कि राज्यों को एससी कैटेगरी में भी सब-कैटेगरी करने की अनुमति दी जा सकती है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बिहार की भी सियासत गरमायी हुई है. तेजस्वी यादव, चिराग पासवान व सांसद पप्पू यादव भी अब इसके विरोध में उतरे हैं.
पप्पू यादव ने अध्यादेश लाने की मांग की…
एससी कोटे में सब-कैटेगरी को हरी झंडी देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई नेता नाखुश हैं. पूर्णिया से निर्दलीय जीतकर सांसद बने पप्पू यादव ने इस फैसले से एतराज जताते हुए कहा कि इस फैसले पर चर्चा करने की जरूरत है. जज के आदेश पर समीक्षा होनी चाहिए. सदन में भी इसपर चर्चा की जरूरत है. सर्वदलीय बैठक करके इसपर चर्चा करनी चाहिए. जब SC-ST में आर्थिक, समाजिक और शैक्षणिक हालत आज भी 1.7 से ऊपर नहीं है और जब उसमें भी क्रीमी लेयर की बात होगी तो बिल्कुल इसपर अध्यादेश लाने और समीक्षा करने की जरूरत है. OBC को पहले ही बर्बाद कर दिया है. एससी-एसटी के पास जमीन पहले से नहीं है. किसान नहीं है. रोजगार नहीं है. इसपर सदन में व्यापक चर्चा की जरूर है.
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चिराग पासवान भी खिलाफ हुए…
वहीं एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) के नेता सह केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस फैसले से नाराजगी जतायी है. चिराग ने कहा कि लोजपा एससी-एसटी श्रेणियों को सब-कैटेगरी में रिजर्वेशन वाले मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के साथ नहीं है. चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान भी इस बात की मांग करते आये कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है, तब तक एससी-एसटी श्रेणियों को सब-कैटेगरी में आरक्षण और क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान न हों. लोजपा सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह करती है कि फैसले का पुनर्विचार किया जाये. उन्होंने कहा कि लोजपा(रामविलास) पार्टी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी.
तेजस्वी ने कहा- ये संविधान की मूल भावना के खिलाफ, अध्यादेश लाए सरकार
वहीं राजद नेता सह पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि राजद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पक्ष में नहीं है.तेजस्वी ने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि दलितों व आदिवासियों को दिए आरक्षण में क्रीमी लेयर की कोई बात पहले भी नहीं थी. ये भेदभाव खत्म करने के लिए दिया गया. आखिर आर्थिक तौर पर वर्गीकरण की बात कहां से आई. आप नौकरी की बात क्यों नहीं करते. जमीन किसके पास कितना है उसकी बात क्यों नहीं करते. अगर आर्थिक तौर पर मजबूत करना है तो ये किजिए. अक्सर देखा जाता है कि घोड़ी तक पर उन्हें नहीं चढ़ने देते. छूआछूत वगैरह खत्म करवाना चाहिए. तेजस्वी यादव ने भी अध्यादेश लाकर विसंगति दूर करने की मांग केंद्र सरकार से की.
समस्तीपुर सांसद ने भी जतायी नाराजगी…
एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश हैं. उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा कि ”आरक्षण सबके लिए बराबर, उसका वर्गीकरण करना गलत होगा. आरक्षण का आधार छुआछूत और जाति के आधार पर समाज में हो रहा भेदभाव था जो सभी जातियों के लिए एक समान है. अब आप अगर इसमें उप-वर्गीकरण जैसे बदलाव लाने की बात कर आरक्षण का आधार और उसका उद्देश्य बदल देना चाहते हैं”