पप्पू यादव ने सुधाकर सिंह को लेकर तेजस्वी से की अपील, कहा सरकार अस्थिर करने में लगे हैं कृषि मंत्री

पप्पू यादव ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से अपील करते हुए कहा कि अगर वो बिहार में मजबूत और स्थिर सरकार चाहते हैं तो उन्हें ऐसे लोगों का इस्तीफा तुरंत ही स्वीकार कर लेना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2022 7:10 PM

बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह द्वारा इस्तीफे की पेशकश किए जाने के बाद से राज्य के सियासी गलियारों में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. इसी में अब जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए सुधाकर सिंह को गोडसेवादी बताया है. पप्पू यादव ने रविवार को गर्म तेवर में कहा है कि मंत्री बनने के बाद से ही वो भाजपा के इशारे पर बिहार की सरकार को अस्थिर करने में लगे थे.

नीतीश कुमार को बताया ईमानदार

पप्पू यादव ने कहा कि ऐसे लोगों से ही घिरे होने के कारण राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ईमानदार बताया और कहा कि सुधाकर सिंह खुद चावल घोटाले में जेल जा चुके हैं और वे नैतिकता की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के विकास का जो सपना देखा उसे वो पूरा कर रहे हैं.

तेजस्वी से की अपील 

पप्पू यादव ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से अपील करते हुए कहा कि अगर वो बिहार में मजबूत और स्थिर सरकार चाहते हैं तो उन्हें ऐसे लोगों का इस्तीफा तुरंत ही स्वीकार कर लेना चाहिए. किसी भी कीमत पर उन्हें ऐसे मंत्री को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. अगर यह इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ, तो सरकार की तरफ लोगों की अविश्वसनीयता बढ़ेगी और भाजपा नीतीश कुमार पर हमलावर होगी.

सरकार को अस्थिर करने की कोशिश

जाप अध्यक्ष ने कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद से सुधाकर सिंह महागठबंधन सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में लगे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की वजह से ही सरकार की साख कमजोर होती है. पप्पू यादव ने सुधाकर सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लेने की मांग की है.

नीतीश कुमार से भी हुई थी बहस 

बिहार सरकार में राजद कोटे से मंत्री बने सुधाकर सिंह के व्यवहार को लेकर लगातार विवाद होता रहा है. वो लगातार सरकार और अपने विभाग पर हमला कर रहे थे. उन्होंने पूरे विभाग को चोर तक कह डाला था. कैबिनेट बैठक में नीतीश कुमार से उनकी बहस की खबर भी सामने आई थी. हालांकि दोनों पक्षों ने खुल कर उस बहस को स्वीकार नहीं किया.

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