एक्स-दीघा एलिवेटेड रोड से बेली रोड को मिलाने वाला ब्रांच रोड रूपसपुर नहर किनारे गिरेगा. इसके माध्यम से ही घूम कर लोग बेली रोड आ-जा सकेंगे. बिहार राज्य पथ विकास निगम के सीजीएम संजय कुमार ने बताया कि यह प्रस्ताव निगम ने पथ निर्माण विभाग को दिया है. सरकार ने इसी प्रस्ताव को हाईकोर्ट के समझ रखा है.
पटना हाईकोर्ट ने पाटलिपुत्र रेल स्टेशन को चारों तरफ से जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण पूरी तरह से नहीं किये जाने पर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में रेलवे और राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने भरत प्रसाद सिंह द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि नहर के पश्चिम ओर से पाटलिपुत्र स्टेशन को जोड़ने के लिए फुटओवर ब्रिज और एम्स – दीघा एलिवेटेड रोड से ब्रांच रोड निकालकर नहर के पश्चिम की ओर पाटलिपुत्र स्टेशन को जोड़ने पर रेलवे और राज्य सरकार की सहमति बन गयी है. नहर के पश्चिम की ओर के रोड को भी चौड़ा किये जाने की योजना है, ताकि वहां गाड़ी भी लगायी जा सके.
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कोर्ट को बताया गया कि एम्स – दीघा एलिवेटेड रोड से ब्रांच रोड निकालने और इसके निर्माण पर लगने वाले खर्च का 50 फीसदी खर्च रेलवे को वहन करना होगा. इसको लेकर रेलवे के उच्च अधिकारी से सहमति लेने को कहा गया है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि इसके निर्माण में 94. 52 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है. इसका निर्माण होने से यात्रियों को नहर के पश्चिम की ओर से भी पाटलिपुत्र स्टेशन आने में सुविधा हो जायेगी.
आशियाना दीघा रोड में बंधन बैंक के सामने से पाटलिपुत्र स्टेशन तक सीधी सड़क बनाने का प्रस्ताव भी बिहार राज्य पथ विकास निगम द्वारा दिया गया है. इसके लिए 600 मीटर जमीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा. एनटीपीसी रोड से पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन को जोड़ने की बात जब कोर्ट ने कही, तो राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने फिलहाल अपनी असहमति जताते हुए इसे भविष्य के लिए खुला रखने की बात कही.
महाधिवक्ता ने कहा कि इसके निर्माण से एनटीपीसी की ओर से सड़क की लम्बाई 600 मीटर और चौडाई 22 मीटर हो सकती है. इसमें आशियाना नगर कॉलोनी मोड़, रामनगरी मोड़ और मजिस्ट्रेट कॉलोनी रोड आदि क्षेत्र शामिल हो सकते हैं. इसके लिए 76.47 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें भूमि अधिग्रहण का व्यय भी शामिल है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पाटलिपुत्र स्टेशन का निर्माण तो काफी पहले ही हो गया, लेकिन वहां चारों तरफ से पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं, इस वजह से यात्रियों को काफी परेशानी होती है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan