पटना से दो युवकों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, लॉकडाउन में छूटी थी नौकरी तो बन गये साइबर अपराधी
पटना के शास्त्रीनगर थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया दरभंगा निवासी योगेश कुमार व विजय बिक्रम की लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट गयी थी. जिसके बाद यह साइबर अपराधी सोनू के संपर्क में आये और फिर साइबर अपराधी बन गये.
पटना के शास्त्रीनगर थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया दरभंगा निवासी योगेश कुमार व विजय बिक्रम की लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट गयी थी. जिसके कारण ये दोनों आर्थिक तंगी में आ गये थे और घर खर्च तक चलाना मुश्किल हो गया था. इसी दौरान दोनों नालंदा के साइबर अपराधी सोनू के संपर्क में आये और फिर साइबर अपराधी बन गये.
प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था
विजय बिक्रम एक अच्छे परिवार से संबंधित है और यह अपने पूरे परिवार के साथ इंद्रपुरी रोड नंबर 10 में कई साल से रह रहा है. उसके पिता आर्मी से रिटायर जवान हैं. इसने खुद वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ के विलासपुर से बीसीए की पढ़ाई की है और एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान उसकी नौकरी चली गयी.
लॉकडाउन में काम छूट गया
योगेश भी कम्प्यूटर इंजीनियर है और बीएससी आइटी की पढ़ाई इसने पंजाब से की थी. यह भी एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन लॉकडाउन में काम छूट गया. इसके बाद योगेश को भी आर्थिक तंगी हो गयी. योगेश भी विजय बिक्रम की तरह ही साइबर अपराधियों के ग्रुप में शामिल हो गया.
गिरोह का सरगना फरार
इस गिरोह का सरगना सोनू है, जिसने इन दोनों को साइबर अपराध करने की ट्रेनिंग दी. सूत्रों का कहना है कि सोनू ने गर्दनीबाग इलाके में एक कमरा किराये पर ले रखा था, लेकिन इन दोनों के पकड़े जाने के बाद फरार हो गया. सोनू अब तक कई बेरोजगार युवकों को साइबर अपराधी बना चुका है.
पुलिस को 20 से अधिक खाते मिले
दोनों के पास से पुलिस को 20 से अधिक खाते मिले हैं. सभी खाते दूसरे-दूसरे लोगों के नाम पर हैं. एक खाता योगेश की पत्नी मालती देवी के नाम पर है. जिस पर चार दिन के अंदर में 5.50 लाख रुपये आये थे. जिसमें से अधिकांश रुपये निकाले जा चुके हैं, लेकिन करीब एक लाख 48 हजार रुपया खाता में बचा हुआ है. पुलिस ने इस खाते को फ्रिज करा दिया है. सूत्रों के अनुसार उक्त रकम पटियाला व अन्य जगहों से ठगी कर खाते में डाले गये थे.