पटना में इंटर्नशिप एलाउंस एवं पीजी फेलोशिप बिहार की अन्य चिकित्सा पद्धति एलोपैथी- आयुर्वेद आदि के समान करने की मांग पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव सचिव डॉ एन सरवण कुमार से कोई लिखित आश्वासन नहीं मिलने पर बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं की हड़ताल बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रही.
छात्रों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को सचिव से मिला था. विभाग के रवैये को लेकर नाराज छात्र-छात्राओं ने बुधवार को रैली निकालकर प्रदर्शन किया. इसके बाद धरना स्थल पर बैठे. प्रदर्शन के दौरान थाली-कटोरा, चमचा पीटकर विरोध प्रकट किया. छात्रों की मांग पूरी करने अथवा हड़ताल को खत्म कराने के लिए सरकार के स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगो को पूरी नहीं कर देती है, जब तक हड़ताल जारी रहेगा. उनको जितना भत्ता मिलता है, उससे एक समय का भोजन भी नहीं खरीदा जा सकता है. बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के इंटर्नी को 5000 रुपये प्रतिमाह तथा पीजी स्कॉलर को 1800 रुपये प्रतिमाह मिल रहा है. बिहार के अन्य चिकित्सा पद्धतियों में इंटर्नी को 18 से 25 हजार प्रतिमाह तथा पीजी स्कॉलर को 65 से -82 हजार रुपये प्रति माह मिल रहा है.
बता दें की छात्रों की 2016 से ही यह मांग है. इसके लिए इन लोगों ने विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए लेकिन फलस्वरुप इन्हें सिर्फ मंत्रियों से आश्वासन ही मिला. बताते कि इन जूनियर डॉक्टरों ने पिछले साल के अंत मे 23 दिसंबर 2021 को अपनी मांग को लेकर हड़ताल की थी. इसके बाद तत्कालीन पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी 24 दिसंबर 2021 को धरना स्थल पर पहुंचे और मौखिक आश्वासन दिया कि 15 दिन के अंदर आपकी मांग को पूरा कर दिया जाएगा. लेकिन, 6 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हो पाया है.