शुभम कुमार, पटना: गंगा नदी में नावों के परिचालन के लिए प्रशासन ने कई नियम और दिशा-निर्देश जारी हैं. घाट किनारे बड़े आयोजनों से पहले अधिकारी लगातार बैठक कर नाव परिचालन को लेकर निर्देश जारी करते हैं, लेकिन इन पर अमल करवाना भूल जाते हैं. इस कारण 2017 से अब तक चार बड़े नाव हादसे हुए, जिनमें 37 लोगों की मौत हो गयी. हैरत की बात है कि हादसे से पहले दिये गये दिशा-निर्देश और हादसे के बाद जांच कर कार्रवाई की बात हर बार कागज तक ही सिमट कर रह जाती है. नाविक खुलेआम क्षमता से अधिक लोगों को नाव पर सवार कर गंगा की सैर करवाते हैं और प्रशासन द्वारा दिये गये दिशा-निर्देश की धज्जियां उड़ाते हैं.
मिनी गोवा…का सैर सपाटा किसी दिन बड़े हादसे को दे सकता न्योता
नाव की जांच से लेकर उसके रजिस्ट्रेशन कराने और कब से कब तक चलाने आदि कई सारे नियम बनाये गये हैं, लेकिन इन सभी नियमों का पालन नाविक कर रहे हैं या नहीं, इसको देखने वाला कोई नहीं. एनआइटी घाट (गांधी घाट) से हर दिन दर्जनों नाविक मिनी गोवा…यानी गंगा के उस पार सैर-सपाटा के नाम पर लोगों को नाव से ले जाते हैं. अधिक पैसा वसूली को लेकर नाविक क्षमता से अधिक सवारी नाव पर सवार कर लेते हैं. ये सिलसिला सुबह से लेकर देर शाम या फिर यूं कहें कि रात तक चलती है. इस पर न तो पुलिस प्रशासन की नजर है और न ही जिला प्रशासन के अधिकारी की. मिनी गोवा का सैर-सपाटा के नाम पर नाविकों की यह लापरवाही किसी दिन बड़े हादसे को न्योता दे सकता है.
अवैध बालू का नहीं बंद हो रहा परिवहन, सवार होते दर्जनों मजदूर
सैर-सपाटा के अलावा अवैध बालू ढोने के कारण भी हादसा होता है. दीघा समेत अन्य घाटों पर कई बार बालू से लदी नाव पलटी खा चुकी है और उस सवार मजदूर लापता हो चुके हैं. अवैध बालू को नाव पर क्षमता से अधिक लोड कर दिया जाता है, जिसके कारण नाव का आधा से ज्यादा हिस्सा गंगा के अंदर घुस जाता है. नाव पर बालू के अलावा दर्जनों मजदूर सवार होते हैं.
बाढ़ में नाव हादसा, 4 लोग गंगा में समाकर हुए लापता
गौरतलब है कि रविवार को गंगा दशहरा के दिन पटना के बाढ़ अंतर्गत उमानाथ घाट पर एक नाव हादसा हुआ है जिसमें बीच मंझधार में जाकर नाव पलट गयी. नाव में सवार दर्जन भर लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर बाहर निकले लेकिन 4 लोग गंगा में ही समाकर लापता हो गए. इनमें नालंदा निवासी एक रिटायर अधिकारी और उनके परिजन शामिल हैं.