पटना पुस्तक मेले का आयोजन तीन वर्ष के बाद फिर से एक बार होने जा रहा है. सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) द्वारा शहर के गांधी मैदान में दो से 13 दिसंबर तक इसका आयोजन होगा. इस वर्ष मेले की थीम ‘मोबाइल छोड़िए, किताब पढ़िए’ है. इस थीम के जरिये पाठकों को पुस्तक संस्कृति से जोड़ने की कोशिश होगी. इसका उद्घाटन दो दिसंबर को दोपहर तीन बजे होगा. ये बातें बुधवार को पटना पुस्तक मेले के संयोजक अमित झा ने कही. वह पुस्तक मेले को लेकर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इसमें उन्होंने कहा कि पटना पुस्तक मेला का परिसर तीन साल बाद फिर से तैयार है. पुस्तक मेले की तैयारी अब अंतिम चरण में है. इसमें देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार, लेखक, कवि और पत्रकार आ रहे हैं.
इस बार मुख्य प्रवेश द्वार का नाम पाटलिपुत्र द्वार रखा गया है. मुख्य मंच बोधगया मंच, प्रशासनिक भवन का नाम राजगृह प्रशासनिक भवन, सेमिनार हॉल का नाम नालंदा रखा गया है. इस बार मेला परिसर में तीन ब्लॉक होंगे, जिनके नाम क्रमशः सीतामढ़ी ब्लॉक, मधुबनी ब्लॉक, भागलपुर ब्लॉक होंगे. पटना पुस्तक मेला में कई सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम भी होंगे. कई पुस्तकों का विमोचन होगा.
पटना पुस्तक मेला में शब्द साक्षी, जनसंवाद और गुफ्तगू कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. शब्द साक्षी कार्यक्रम में हृषीकेश सुलभ से अंचित, अरुण कमल से राकेश रंजन, उषाकिरण खान से भावना शेखर, विनय कुमार से नताशा, अवधेश प्रीत से मो दानिश, आलोक धन्वा से नरेंद्र कुमार बातचीत करेंगे. गुफ्तगू कार्यक्रम के तहत विनोद अनुपम, गिरिधर झा सिनेमा पर गपशप करेंगे. कवि गोष्ठि का आयोजन होगा.
‘जनसंवाद’ कार्यक्रम के तहत नई शिक्षा नीति विषय पर डॉ चंद्रदीप और मनीष वर्मा के बीच परिचर्चा होगी. इसी कार्यक्रम के तहत साहित्य में स्त्री नायक विषय पर जयंती रंगनाथन, राकेश बिहारी, और सिनीवाली शर्मा के बीच परिचर्चा होगी. ‘नयी किताब’ विषय पर पूनम सिंह, रमेश ऋतंभर, सीमा संगसार और अरुण नारायण के साथ परिचर्चा भी इसी कार्यक्रम का हिस्सा होगी. इसी कार्यक्रम में ‘काव्य की नयी धारा’ विषय पर लीना झा, समीर परिमल और संजय कुमार कुंदन की बातचीत होगी. आजादी के 75 वर्ष पर पत्रकार अनंत विजय से दिव्या गौतम से बात करेंगी .
इस बार कई छोटे प्रकाशक नहीं आ रहे हैं. पुस्तकों का यह संसार करीब 70 हजार वर्गफुट में होगा. पूर्व के पुस्तक मेले की तुलना में यह स्पेस करीब आधा ही है. इस बार पूर्व से इसमें प्रमुख रूप से प्रभात प्रकाशन, राजकमल, वाणी प्रकाशन, प्रतियोगिता दर्पण, नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज आदि शामिल होंगे.