‘ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे’ के दौरान पटना कलेक्ट्रेट और गोलघर थे पर्यवेक्षण केंद्र

ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे, Great Trigonometrical Survey

By Samir Kumar | March 3, 2020 9:53 PM

पटना : सदियों पुरानी पटना कलेक्ट्रेट की ऐतिहासिक इमारतें और यहां के प्रतिष्ठित गोलघर को 19वीं शताब्दी की ऐतिहासिक परियोजना ‘ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे’ में पर्यवेक्षण केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया गया था. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप को वैज्ञानिक सटीकता से मापना था. अभिलेखागार के दस्तावेजों में यह जानकारी दी गयी है.

गंगा किनारे स्थित पटना कलेक्ट्रेट परिसर के कुछ हिस्से 250 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. यह इमारतें बिहार की राजधानी में डच वास्तुकला के अंतिम साक्ष्यों में से एक हैं, लेकिन अब इसका भाग्य अधर में लटका हुआ है. बिहार सरकार ने 2016 में नयी इमारतों वाला परिसर बनाने के लिए पुराने कलेक्ट्रेट को ध्वस्त करने का आदेश दिया था.

इस आदेश के बाद भारत और विदेशों में कई अपीलें की गयी थी कि इसे पटना के इतिहास के साक्ष्य के रूप में संरक्षित करें. इसके बाद इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर (इंटेक) ने पटना उच्च न्यायालय में पिछले साल ध्वस्त करने के प्रस्ताव को चुनौती देते हुए दो याचिकाएं दी थी. दोनों जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद पटना उच्च न्यायालय ने पिछले सितंबर में राज्य के अधिकारियों को अगले आदेश तक कलेक्ट्रेट भवन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने से रोकते हुए सरकारी परिसर के प्रस्तावित विध्वंस पर रोक लगा दी. अगली सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है.

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