पटना के गंगा घाट पर पाठशाला: कठोर तप करके संघर्ष के रास्ते पर चलकर ही सफलता के शिखर पर पहुंचता रहा बिहार
पटना के गंगा घाट की एक तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल है. देशभर में बिहार के विद्यार्थियों की चर्चा है. संघर्ष के रास्ते पर तपकर सफल होने के इस सफर पर पेश है खास रिपोर्ट...
ठाकुर शक्तिलोचन, पटना: सोशल मीडिया पर एक तसवीर काफी वायरल हो रही है. जिसमें पटना के गंगा घाट को छात्रों ने पाठशाला बना लिया और वहीं गंगा की अविरल धारा के किनारे बैठकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते दिखते हैं. ये दृश्य देशभर में लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन हकीकत यह है कि बिहार की माटी पर ये दृश्य ना तो पहली बार है और ना ही आखिरी. तप की इस धरती पर संघर्ष ने ही गुदड़ी के लालों को भी देशभर में चर्चित बनाया है. इस माटी का एक गौरवशाली इतिहास, लाजवाब वर्तमान और स्वर्णिम भविष्य है.
पटना के एनआइटी घाट की वायरल तसवीरसोशल मीडिया पर हाल में वायरल तसवीर पटना के एनआइटी घाट की है. बड़ी संख्या में अभ्यर्थी गंगा किनारे घाट पर बैठकर अपनी पढ़ाई करते इस तसवीर में नजर आ रहे हैं. तसवीर वायरल होते ही ये देशभर में चर्चे का विषय बना. कोई सुविधा की कमी को लेकर सरकारी तंत्रों पर हमला करते दिखे तो कोई इन छात्रों की वाह में सुर उठाए. लेकिन बात बिहार की करें तो ये तसवीर यहां के प्रतिभाओं की नींव है. बिहार के छात्र देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते रहे हैं. संघर्ष के रास्ते चलकर किस तरह सफलता की बुलंदी को चूमा जाता है वो बिहार के छात्र हमेसा दिखाते आए हैं.
एक ऐसी ही तसवीर सासाराम रेलवे स्टेशन की सामने आयी थी जो इसी तरह चर्चे में रही. छात्र स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर कुछ इसी तरह नीचे बैठकर परीक्षा की तैयारी में जुटे दिखे थे. अब जब गंगा किनारे की तसवीर सामने आयी है तो इसी माटी पर जन्म लिये कवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘ पाटलिपुत्र की गंगा’ आपको जरूर पढ़नी चाहिए, जिसमें कवि दिनकर पटना में बह रही गंगा के इतिहास का बखान करते हैं.
उस अतीत गौरव की गाथा छिपी इन्हीं उपकूलों में,
कीर्ति-सुरभि वह गमक रही अब भी तेरे वन-फूलों में।
Also Read: पटना में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी: इलाज के नाम पर मोटी फीस, बगैर जरूरत के देते हैं दवाएं बिहार, जहां जिंदा रहती है उम्मीदें…बिहार, जिसका एक गौरवशाली इतिहास इसकी पहचान है तो भौगोलिक व राजनीतिक कारणों से श्राप से जूझकर जीत दर्ज कराते रहना ही वर्तमान. आज भी अपने उस भविष्य को तलाशता रहता है जहां हर साल 6 माह बाढ़ में सर्वस्व डूबाकर भी जिंदा रखता है अपनी उम्मीद. वो उम्मीद जिससे वो फिर से विजय प्राप्त करता है और गुदड़ी के लाल आईएएस/ आइपीएस बनता है. वहीं अलग-अलग परीक्षाओं में भी अव्वल आता है.
छात्रों के लिए सोचने की जरुरतबिहार कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि यहां के छात्रों की यह पहचान है कि वो तमाम बाधाओं को चीरकर भी सफलता का परचम लहराते हैं. लेकिन इनके लिए सरकार को भी सोचने की जरुरत है. समय-समय पर वैकेंसी और छात्रों के अनुकूल माहौल बनाकर इन्हें और मजबूत बनाया जा सकता है. बिहार की प्रतिभा हमेसा डंका बजाती रही है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan